इस साल चक्रवाती तूफान से भारत पाक में बडा अकाल पैदा होगा ? अमेरिकी संस्था
चक्रवाती तूफान से भारत पाक में बडा अकाल पैदा होगा ? अमेरिकी संस्था
New Delhi अमेरिका एजेंसी ने दावा किया है कि भारत और पाक में बड़ा अकाल पड़ने वाला है। मौसम की जानकारी देने वाली संस्था एक्यूवैदर के मुताबिक पसिफिक में बहुत बड़े चक्रवाती तूफान सक्रिय हैं और उन्ही में एक शक्तिशाली चक्रवात मॉनसून को रोक सकता हैं।एक्यूवैदर के मुताबिक ऐसा चक्रवातो के सक्रिय होन के पीछे अलनीनो प्रभाव जिम्मेदार हो सकते हैं इसकी वजह से भारत और पाकिस्तान के बड़े हिस्सों की खेती प्रभावित होगी और अगर ऐसा हुआ तो भीषण अकाल की चपेट में भारत के एक बिलियन लोग प्रभावित होंगे।यह दावा ऐसे हालातों में आया है जब भारत में गर्मी के कारण तटीय राज्यो में 2000 लोगो की मौत हो गई हैं. इसके अलावा पूरा देश भयंकर गर्मी से जूझ रहा है।
चक्रवातीय तूफान मानसुन पर रोक कैसे लगाएगें
ऐक्यूवेदर के मुताबिक अकाल की यह स्थिति एल नीनो प्रभाव की वजह से पैदा होगी। समुद्रतल का तापमान बढ़ता-घटता रहता है। तापमान के बढ़ने की स्थिति एल नीनो कहलाती है। इसकी वजह से औसत से ज्यादा चक्रवातीय तूफान आते हैं। एल नीनो के बारे में इसी तरह की बात भारतीय मौसम विभाग भी कह चुका है। लेकिन, भारतीय अधिकारियों ने पूर्वानुमान देते हुए देश में सामान्य से कम बरसात होने की बात कही हैं. पिछले महीने भारतीय मौसम विभाग ने कहा था कि इस बार मॉनूसन सामान्य से कम रहेगा। 22 अप्रैल को जारी अपने पूर्वानुमान में कहा गया कि बारिश औसत की 93 फीसदी होगी। एक सीनियर मौसम विज्ञानी ने ऐक्युवेदर की रिपोर्टर पर कहा कि उन्होंने कहा, ‘एल नीनो की वजह से तूफान आते हैं लेकिन अभी से घबराहट फैलाने की क्या जरूरत है। हमने जरूरी सूचनाएं संबंधित मंत्रालयों के साथ साझा कर दी हैं। सरकार जरूरी उपायों पर काम कर रही है।’ उन्होंने कहा कि जब पिछले साल 12 फीसदी कम बारिश हुई थी तो हालात को संभाल लिया गया था, तब इस साल भी ऐसा किया जा सकता है।
लेकिन, ऐक्युवेदर अपने विश्लेषण में संभलकर बोलने का ऐहतियात रखने की जरूरत नहीं समझती। उसने किसी तरह की जानकारी को गोपनीय नहीं रखा है और बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भारत में अकाल की स्थिति होगी। अपने एशिया समर फोरकास्ट में एजेंसी ने कहा है, ‘यह एक ऐसा समय है जब तूफान बहुत ज्यादा सक्रिय होंगे और भारत के कई हिस्सों में अकाल पड़ेगा। इससे 2015 की गर्मियों में अरबों लोगों की जिंदगी पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।’