चिकनगुनिया एक बार हुआ तो, दोबारा होने की सम्भावना कम !

Health Desk एक अग्रेजी अखबार ने एम्स दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सकों के हवाले से पुष्टि की है, कि एक बार चिकनगुनिया होने पर उसी मरीज को दोबारा होने की सम्भावना बेहद कम है। एम्स के वायरसोलॉजिस्ट डॉ ललित डार, जो कि सूक्ष्म जीव विज्ञान प्रोफेसर भी है ने अखबार को बताया कि डेंगू वायरस चार सीरोटाइप प्रकारों की वजह से दोबारा हो सकता है जबकि इसके विपरीत चिकनगुनिया वायरस एक सीरोटाइप है जिसके बार बार सक्रमण का खतरा कम है। हालाकि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजो में सम्भावना हो सकती है।

चिकनगुनिया इस साल विकराल क्यो

एम्स के चिकित्सीय विशेषज्ञो की माने तो एक दशक पहले चिकनगुनिया वायरस संक्रमण दोहराने के काबिल नहीं था लेकिन इसके फैलने के पीछे कई कारण जिम्मेदार बताए गए है। virologists ने मुताबिक 2006 के मुकाबले बाद में पैदा बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहो सकी। इसके अलावा दिल्ली में आसापास के राज्यो से आई आबादी में प्रतिरोधक क्षमता कम है।

एम्स के वायरसोलॉजिस्ट डॉ ललित डार,चिकनगुनिया प्रभावित थाईलैंड में 1991 में हुए परीक्षण के तथ्य की जानकारी दी। इसके मुताबिक एक बार सक्रमित होने के बाद प्रभावित आबादि में प्राकृति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने के प्रमाण मिले। डॉ एस के शर्मा, प्रोफेसर और चिकित्सा विभाग के प्रमुख,ने `Virology Journal’ in 2014 की जिक्र करते हुए कहा कि जर्नल ‘में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार AIIMS के परीक्षण किया 3,500 रोगियों में बुखार से पीड़ित लगभग 2,000 (57%) चिकनगुनिया से पीड़ित होने की पुष्टि की गई। डेंगू के प्रसार सिर्फ 5% हो पाया था। इसके अलावा सिर्फ 10-11 रोगियों में वे डेंगू और चिकनगुनिया वायरस के सह-संक्रमण पाया गया।

चिकनगुनिया से मौत नही

आप मौतों के लिए चिकनगुनिया दोष नहीं दे सकते, यह कहना है डॉ एम सी मिश्रा, निदेशक, एम्स का उनके अनुसार ऐसी आबादी जो जिनमें रोगो से लडने की क्षमता कम है उनकी वजह से चिकनगुनिया में बढोत्तरी हुई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने भी विशेषज्ञों की टीम गठित की। टीम का गठन यह पता लगाने के लिए किया गया कि क्या ज्यादा म्यूटेशन के विपरित कारण है . विशेषज्ञों को पक्का विश्वास है कि रोग बढने की वजह बडी आबादी का रोगप्रतिरोधक शक्ति कमजोर होना है।

हाथ धोए कैसे जानिए क्या है वैज्ञानिक तरीका please click here

दिल्ली सरकार द्वारा बनाई समिति ने भी चिकनगुनिया को बुखार पिडित मरीजो की मौत की वजह मानने से इंकार कर दिया है। समिति का कहना है कि पैनल में शामिल 13 रोगियों की मेडिकल केस की जानकारी ली । इन मरीजों का बुखार से पीड़ित होने के बाद निधन हो गया था। फाइलों का परीक्षण और समीक्षा में कहा गया कि मरने वालों में से किसी की मौत चिकनगुनिया के कारण नही हुई बल्कि मौत की वजह , गुर्दे की चोट और जटिलताओं के रूप में निमोनिया आदि के कारणों से होना सामने आई।

इंडिया प्राइम उपरोक्त की पुष्टी या स्वीकरोक्ती नही करता। उपरोक्त खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर को आधार बनाकर तैयार की गई है।

 बच्चे 15 मिनट से ज्यादा टीवी देखते है तो क्या क्या नुकसान है  please click here 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *