पीवी सिंधु की जीत से जुड़े 5 बड़े राज जिन्होने दिलाया, रियो ओलंपिक में सिल्वर

Sports Desk भारत के लिए ही नही बल्कि ओलंपिक इतिहास में नाम दर्ज करवाने वाली बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु के सिल्वर तक पहुचने के पीछे 5 बड़े राज है, जिनकी बदोलत रियो ओलंपिक में सिल्वर मिला. पीवी सिंधु की जीत से जुडे कई रोचक तथ्य

रियों की तैयारी के लिए पसंद का खाना छोड़ा

पीवी सिंधु की फेवरेट डार्क चॉकलेट, हैदराबादी बिरयानी हैं, लेकिन ओलिंपिक में इतिहास रचने के लिए पिछले काफी समय से उन्होने अपने पसंद का खाना छोड़ रखा हैं।  सिंधु का वजन न बढ़े, इसकेलिए कोच कई बार सिंधु की प्लेट से खाना तक निकाल देते थे। इसके अलावा सिंधु ने ब्रेड और शुगर जैसे कई पदार्थो से दूर हैं। यह प्रतिबंध सिंधु के लिए ही नही उनके कोच गोपीचंद ने भी रियो जाने वाले प्लेयर्स के साथ प्रैक्टिस करने के लिए कई महीने से कार्बोहाइड्रेट बढ़ाने वाले प्रोडक्ट्स खाने बंद कर दिए ।

सिंधु तीन महीने से मोबाइल से दूर है

सिंधु के कोच गोपीचंद के अनुसार पिछले तीन महीने से सिंधु के पास कोई मोबाइल फोन नहीं था। उन्होंने कहा, ‘आज मैं उसे मोबाइल वापस कर दूंगा। लेकिन इसके लिए उसे थोड़ा सा इंतजार करना पड़ेगा। मैं मोबाइल चार्ज करने के बाद उसे दे दूंगा।

पिता ने पीवी सिंधु की जीत के लिए कड़ी मेहनत की

पीवी सिंधु की जीत के लिए रेल्वे से लम्बी छुट्टी लेकर सिंधु के पिता हर रोज 4 बजे कई किलोमीटर दूर बेटी को ट्रेंनिंग के लिए लेकर जाते हैं। हैदराबाद से 30 किलोमीटर दूर पुलेला गोपीचंद की एकेडमी में पिछले 12 साल से कोचिंग कर रही है। हर सुबह 4 बजे उठकर हैदराबाद में अपने घर से 30 किमी दूर गाची बावली में सिंधू को ट्रेनिंग के लिए पुलेला गोपीचंद की एकेडमी तक ले जाते थे। वो खिलाड़ी से उसकी तैयारी के बारे में भी पूछा करते थे। पीवी सिंधु की जीत के लिए पिता की मेहनत आखिरकार रंग लाई ।

 सिंधू हर प्वाइंट जीतने पर जोर से चिल्लाने का राज

विश्व की 10वी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मारिन के साथ तीनों सेट में हर प्वाइंट पर सिंधू  जोर से चिल्ला कर अग्रेशन बढाने का फार्मूला काफी असरदार रहा। पहले ऐसा नहीं था। वे शांत रहकर खेलती थीं। सिंधू 12 साल से गोपीचंद की कोचिंग में खेल रही हैं। शुरू में वे बहुत डिफेंसिव थीं। कोच के कहने के बाद भी वे अग्रेशन नहीं दिखाती थीं। कोच पुलेला गोपीचंद ने उनका अग्रेशन बढ़ाने के लिए चिल्लाने की यह अादत डलवाई। गोपीचंद ने एक दिन प्रैक्टिस के दौरान कोर्ट के बीच में खड़ा दिया। चारों ओर 50 से ज्यादा खिलाड़ी और कोच खड़े थे। गोपी ने कहा कि अब जोर से चिल्लाओ। सिंधू तैयार नहीं थीं। तब कोच ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया तो मैं तुम्हें कभी रैकेट नहीं छूने दूंगा। सिंधू रो पड़ीं। लेकिन फिर वो खुलकर चिल्लाईं। इसके बाद से वे घंटों एकेडमी में खुलकर चिल्लाती थीं। इससे उनके खेल में अग्रेशन आया यही वजह है कि सिंधू ने पहला सेट 21-19 से जीता, जबकि कैरोलिना ने दूसरा सेट 21-12 से अपने नाम किया। तीसरे सेट में सिंधू को 21-15 से हार का सामना करना पड़ा। 12 साल बाद ओलिंपिक में बैडमिंटन का 80 मिनट लंबा मुकाबला देखा गया।- मैच बराबरी पर होने के बाद तीसरे सेट में दोनों के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिली।

 ओलिंपिक मेडल जीतने वाली सबसे कम उम्र की एथलीट

ओलिंपिक मेडल जीतने वाली भारत की पांचवीं महिला है । सिंधू ने भारत को अब तक के ओलिंपिक 6वा सिल्वर दिलवाया है। सिंधू ने 8 की उम्र में खेलना शुरू किया। 18 की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीतकर लाईं। 18 साले की उम्र में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड मिला। 20 में वे पद्मश्री के लिए चुनी गईं और 21 की उम्र में ओलिंपिक मेडल जीतकर लाई हैं। बैडमिंटन में भारत को रजत पदक दिलाने वाली भी पहली खिलाड़ी हैं। इससे पहले लंदन ओलंपिक 2012 में पांचवीं वरीयता प्राप्त सायना नेहवाल ने देश को बैडमिंटन में पहला पदक दिलाया था। उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया था।

 

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