राजस्थान के पूर्व राज्यपाल की सुविधा एवम सुरक्षा हटाए जाने की चर्चाओ से राजस्थान का राजनैतिक माहोल गर्मा गया है. राजस्थान सरकार की बुधवार को हुई केबिनेट बैठक में पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह की सुविधाए और सुरक्षा व्यवस्था हटाए जाने की सम्भावना को लेकर क्षत्रिय समाज ने अपना विरोध जताया. हालाकिं केबिनेट की बैठक में इस प्रकरण को शामिल ही नही किया गया.
पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह ने इंडिया प्राइम को दिए गए विशेष साक्षात्कार में बताया कि ” मुझे तो सुरक्षा व्यवस्था स्वमं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले कार्यकाल में उपलब्ध कराई थी, रहा मकान का सवाल तो पूरे देश में मेरे,मेरी पत्नी, और पुत्र के नाम कोई निजी आवास नही है. सरकार चाहे तो इसकी जांच करवा ले, उन्होने कहा कि मैने अपना पूरा जीवन सादगी, देशसेवा एवम निष्ठापूर्वक इमानदारी से निर्वाह किया है. सवैधानिक पदो पर रहे अंशुमान सिंह ने पहली बार खुलासा किया कि उन्हे सुरक्षा कैसे मिली उन्होने कहा कि राज्यपाल पद से निवर्तमान होने के पुत्री के पास मालवीय नगर जयपुर में रह रहा था ,तभी अचानक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मेरे हालचाल पुछने आए तो उन्होने मेरी सुरक्षा की चिंता करते हुए मुझे 2 पीएसओ एवमं 4 स्टेटीक गार्ड उपलब्ध करवाए. यही नही उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने भी मुझे 2 पीएसओ उपलब्ध करवाए थे जिन्हे मैने बाद में लौटा दिया था.
अंशुमान सिंह ने अपने आवास सुविधा की चर्चा करते हुए कहा कि मेरी आंत में कैंसर होने के कारण मै दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती रहा वहां के विशेषज्ञो की राय के अनुसार ही मैने जयपुर रहने का फैसला किया.क्योकि डाक्टरो की राय थी कि किसी भी आपातकालीन परिस्थितियो में मुझे दो घंटो में तुरंत दिल्ली के अस्पताल ले जाया जा सके. क्योकि मेरा निवास इलाहबाद काफी दुर था इसलिए तत्कालीन सरकार ने मेरी परेशानी देखते हुए मुझे आवास आवंटित किया.
बडे दुखी मन से उन्होने कहा कि जब राज्य में कई प्रभावशाली सरकारी सुविधाओ का लाभ ले रहे है तो उनके बारे में ऐसी चर्चाए क्यो की जा रही है .उन्होने कहा कि ऐसी चर्चाओ से उनका परिवार ही नही राजस्थान में उनके हजारो शुभचितंको में भी रोष है. उन्होने कहा कि एक तरफ तो उनकी सेहत बिगड रही है तो दुसरी तरफ बढती उम्र के कारण भी उन्हे काफी दिक्कतो का सामना करना पड रहा है.ऐसी परिस्थितियो में वे ये भी नही चाहते कि उनके नाम पर कोई राजनीति हो.
जहा तक इनकी सुरक्षा का सवाल है तो राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार मिलापचंद डाडिया ने अपनी पुस्तक ” मुखौटो के पीछे ” में भी पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह की सुरक्षा की गहरी चिंता व्यक्त की है. पत्रकार मिलापचंद डाडिया ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि राज्यपाल बनने से पूर्व राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे. न्यायाधीश के रुप में अंशुमान सिंह यदि लोगो का आदर अर्जित किया था तो उनसे रुष्ठ लोगो की संख्या कम नही थी.
पुस्तक में कई फैसलो का जिक्र भी किया गया है जिनमें एक फैसले का जिक्र करते हुए लिखा है कि न्यायाधीश रहते हुए साधारण नागरिको को तुरंत न्याय प्रदान किया वही उन्होने शक्तिशाली व्यक्तियो के विरुद फैसले देने में भी कभी संकोच नही किया. न्यायाधीश के रुप में सेवानिवृति से ठीक एक दिन पहले जो निर्णय दिया वह अब इतिहास का भाग बन चुका है.इसमें उन्होने उन अनेक उच्च पदस्त आईएएस और आईपीएस अधिकारियो को सरकारी आवासो से बेदखल करने का आदेश दिया था जो उनपर गैर-कानूनी व अनाधिकृत ढंग से कब्जा जामाए बैठे थे.