परिष्कार काँलेज और किंकिणी अकादमी ने सबंल दिया राजस्थान के आदिवासी लोक जीवन विधाओ को .
By admin - शुक्र जुला 27, 1:05 अपराह्न
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”गवरी लोक नाट्य एवं कोपलें“ में पौराणिक कथाओं, लोक कथाओं और लोक-जीवन की विभिन्न झांकियां
जयपुर, 26 जुलाई
किंकिंणी अकादमी के तत्वावधान में परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल ऐक्सीलेंस में ”गवरी लोक नाट्य एवं कोपलें“ नृत्य प्रस्तुति का आयोजन किया गया। गवरी नृत्य नाटिका प्रधान विधा है जो पौराणिक कथाओं, लोक कथाओं और लोक-जीवन की विभिन्न झांकियों पर आधारित है। यह राजस्थान के दक्षिणी भाग (डूँगरपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा) में प्रचलित है। इस आयोजन में राज्य के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित थे। जिनमें किंकिंणी अकादमी के अध्यक्ष श्याम बनवाड़ी, हिन्दी के प्रतिष्ठित विद्वान् एवं परिष्कार कॉलेज के निदेशक डॉ. राघव प्रकाश एवं मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं जयपुर की महापौर श्रीमती ज्योति खण्डेलवाल प्रमुख थे।
कार्यक्रम की शुरूआत गुरू वंदना से हुई। इसके बाद कत्थक योग किया गया जिसमें 16 वर्ष की उम्र से लेकर 63 वर्ष की उम्र के प्रतिभागी सम्मिलित थे। कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण गवरी लोकनाट्य प्रस्तुति रही। जिसमें देवी अम्बामाता पर आधारित नृत्य नाटिका, बंजारा मीणा एवं अंत में घाई नृत्य नाटिका का प्रस्तुतीकरण किया गया। इसमें गणेश, रेणु, राजू, जगदीश, गोपाल, उदयलाल, भैरू लाल, किशन, रोड़ी लाल एवं कालू आदि प्रमुख लोक कलाकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अन्य महत्त्वपूर्ण आकर्षणों में ओल्गा (रूसी महिला) द्वारा भारतीय फिल्म संगीत पर नृत्य प्रस्तुति, राजस्थानी लोकनृत्य एवं कत्थक नृत्य की तराना प्रस्तुति रहे। सम्पूर्ण कार्यक्रम का निर्देशन पद्म विभूषण पं. बिरजू महाराज जी की शिष्या एवं किंकिंणी की निदेशक डॉ. अनिता ओड़िया ने किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सविता पाईवाल ने किया। किंकिंणी अकादमी पूरे देश भर के नर्तकों को नृत्य की भिन्न-भिन्न विधाओं में प्रशिक्षित करने का कार्य कर रही है। गौरतलब है कि किंकिंणी अकादमी राजस्थान में लुप्त हो रही नृत्य विधाओं (गवरी, नाहर आदि लोक नृत्य) को पुनर्जीवित करने के संकल्प के साथ जिम्मेदारीपूर्वक राज्य के सभी हिस्सों में कार्य कर रही है।
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