प्रदेश की सहकारी समितियों की ऑडिट में हुई 22 प्रतिशत की वृद्धि – अजय सिंह किलक

सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक
जयपुर। सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 2016-17 में राज्य की 82.17 प्रतिशत सहकारी समितियों का ऑडिट करवाया गया है, जो गत वर्ष से लगभग 22 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में 18677 ऑडिट योग्य सोसायटियाँ थी, जिनमें से वर्ष के अन्त तक 15348 सोसायटियों द्वारा ऑडिट कार्य पूर्ण करवाया गया।
किलक ने बताया कि 97वें संविधान संशोधन के क्रम में राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम में किए गए प्रावधानों के पश्चात् सहकारी सोसायटियों के स्तर से ऑडिट कराने की व्यवस्था लागू की गई थी, जिससे राज्य में सहकारी सोसायटियों की ऑडिट में अप्रत्याशित कमी आई। उन्होंने बताया कि सहकारी सोसायटियों के पारदर्शी संचालन में ऑडिट महत्वपूर्ण घटक है। इसको देखते हुए ऑडिट कार्य में लगे अधिकारियों को सोसायटियों के मुख्य कार्यकारियों एवं पदाधिकारियों तथा संबंधित केन्द्रीय या शीर्ष संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित कर ऑडिट कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए थे।
प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता अभय कुमार ने बताया कि जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों, जिला दुग्ध संघों, प्राथमिक भूमि विकास बैंकों तथा बहुउद्धेश्यीय समितियों का शत प्रतिशत तथा अधिक अरबन बैंक, क्रय-विक्रय सहकारी समिति, ग्राम सेवा सहकारी समिति, खादी की समितियाें का 90 प्रतिशत से ऑडिट पूरा हुआ है। उन्होंने बताया कि हम जयपुर की गृह निर्माण सहकारी समितियों के ऑडिट को प्राथमिकता से पूर्ण कराने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए क्षेत्रीय अंकेक्षण अधिकारी जयपुर को निर्देश प्रदान कर दिए हैं कि जो गृह निर्माण सहकारी समितियां ऑडिट नहीं करवा रही हैं तथा नियुक्त ऑडिटर को रिकार्ड प्रस्तुत नहीं कर रही हैं, उनके विरूद्ध राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 31 तथा नियम 38 में वर्णित प्रक्रिया के तहत रिकार्ड लेकर ऑडिट कराने की कार्यवाही करें।
कुमार ने बताया कि वर्ष के प्रारम्भिक महिनों में चालू वर्ष के लेखे पूर्ण नहीं होने के कारण ऑडिट का कार्य की प्रगति धीमी होती है, ऎसे में बैकलॉग वाली सोसायटियों का ऑडिट प्राथमिकता से टेकअप करने के लिए मुख्य अंकेक्षक को निर्देशित किया गया है। उन्होंने बताया कि जिन जिलों में विभागीय ऑडिटरों की कमी हैं, उन जिलों की सोसायटियों की ऑडिट के लिए समीप के जिलों से विभागीय ऑडिटरों को कार्य आवंटन करने के लिए क्षेत्रीय अंकेक्षण अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
रजिस्ट्रार, सहकारिता राम निवास ने बताया कि वर्ष 2016-17 के लिए केन्द्रीय सहकारी बैंकों की समीक्षा बैठक में प्रदेश की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में बढ़ते ऋण असंतुलन की समस्या सामने आई थी। समितियों में ऋण असंतुलन का होना उसके प्रबंधन की कार्य प्रणाली एवं निर्णय प्रक्रिया को संदेहास्पद बनाता है। इसलिए ऎसी समितियों में पारदर्शिता तथा जबावदेही सुनिश्चित करने के लिए इस वर्ष प्रदेश की ऋण असंतुलन वाली ग्राम सेवा सहकारी समितियों का ऑडिट विभागीय ऑडिटरों से कराने का निर्णय किया है। इसके लिए आदेश जारी किए जा रहे हैं।
मुख्य अंकेक्षक अनिता कौशिक ने बताया कि सहकारिता मंत्री के निर्देशों की पालना में सहकारी संस्थाओं के ऑडिट के लिए उनके स्तर से प्रभावी नियमित मोनेटरिंग, केन्द्रीय तथा प्राथमिक संस्थाओं के मध्य बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए प्रयास किया गया। उन्होंने बताया कि डेयरी सोसायटियों के ऑडिट के लिए जिला दुग्ध संघों के प्रबंध संचालक स्तर से समन्वय स्थापित कर चिलिंग सेंटर्स पर कैम्पों का आयोजन करवाया गया, जिससे डेयरी सोसायटियों के अंकेक्षण कार्य में प्रभावी प्रगति हुई।
कौशिक ने बताया कि वर्ष 2016-17 के दौरान सहकारी सोसायटियों की ऑडिट के पेटे 349.70 लाख रुपये की ऑडिट फीस का आकलन कर 331.48 लाख रुपये वसूल की गई। उन्होंने बताया कि बकाया ऑडिट फीस की राशि की वसूली के लिए क्षेत्रीय अंकेक्षण अधिकारियों तथा विशेष लेखा परीक्षकों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

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