जयपुर, 31 मई। राजस्व लोक अदालत-न्याय आपके द्वार अभियान के तहत आयोजित राजस्व शिविर न केवल ग्रामीणों के राजस्व वादों को दूर कर उन्हें बड़ी राहत दे रहे हैं, बल्कि ये शिविर पारिवारिक रिश्तों को भी और मजबूत बना रहे हैं। ये शिविर रिश्तों के बीच आई दरार को पाट कर प्रेम की नई परिभाषा लिख रहे हैं।
नागौर जिले में आयोजित राजस्व शिविरों में ऎसे कई प्रकरण सामने आए हैं। जिले के नागौर उपखण्ड क्षेत्र के टांकला में लगे शिविर में तीन बहनों ने तीन अलग-अलग पुस्तैनी भूमि को अपने भाइयों के हक में छोड़ा तो वहीं दो भाइयों ने अपने ही एक दूसरे भाई के पक्ष में अपने हक की जमीन छोड़कर इन शिविरों के उद्देश्य को सार्थक कर दिया।
टांकला अटल सेवा केन्द्र में लगे शिविर में जेठी देवी, भीखी तथा पतासी ने अपने हिस्से की भूमि से अपना हक अपने 3 भाइयों के पक्ष में छोड़ दिया। मानाराम पुत्र शिवनाथ की टांकला में 20 बीघा 14 बिस्वा, गांव लूणा में 73 बीघा 2 बिस्वा तथा ग्राम सियागों की ढाणी में 49.6 बीघा भूमि थी। जिस पर तीन बहनों के साथ भाई पुरखाराम, मदनराम तथा बिरदाराम का बराबर-बराबर हक था। राजस्व शिविर में तीनों बहनों ने सम्पूर्ण दस्तावेजों के साथ अपना सम्पूर्ण हिस्सा अपने भाइयों के पक्ष में हक त्याग दिया। सभी भाई-बहनों के बीच इस बंटवारे को लेकर चेहरे पर आयी खुशी का ठिकाना नहीं था।
इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में प्रतापराम तथा उमाराम पुत्र भेराराम ने भी अपनी पारिवारिक 41 बीघा 4 बिस्वा भूमि का हिस्सा अपने भाई झूमरराम के पक्ष में त्याग कर पारिवारिक रिश्तों की मजबूती का उदाहरण पेश किया। इस हक त्याग के बाद तीनों भाइयों की खुशी देखते ही बनती थी।