विदेशों में रह रहे भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग, ई-बैलट का खाका तैयार
विदेशों में रह रहे भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग, ई-बैलट का खाका तैयार
चुनाव आयोग की एक विशेष समिति ने कानूनी खाका कानून मंत्रालय को भेजा है, ताकि चुनाव कानून में संशोधन किया जा सके, जिससे विदेशों में रह रहे भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग या ई-बैलट सुविधाओं के इस्तेमाल की इजाजत मिल सके.मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा, ‘हमने कानूनी खाका तैयार किया है और यह कानून मंत्रालय के पास है. हम समझते हैं कि इसपर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है. इसका मतलब है कि इस पर अच्छा-खासा आगे बढ़ा जा चुका है.’
आंकड़े दिखाते हैं कि सिर्फ 10 से 12 हजार प्रवासी भारतीयों ने मतदान किया क्योंकि वे वोट डालने के मकसद से देश आने में डालर खर्च करना नहीं चाहते. अनेक आए, लेकिन उनमें से अनेक नहीं आए. प्रवासी भारतीयों को उस चुनाव क्षेत्र में वोट डालने की आजादी है जहां वे मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं, नए प्रस्ताव के तहत उन्हें प्रॉक्सी के विकल्प का इस्तेमाल करने की भी इजाजत दी जाएगी. अभी तक यह सुविधा सिर्फ सैन्यकर्मियों को हासिल है. एक अन्य विकल्प यह है कि उन्हें इलेक्ट्रानिक माध्यम से डाक मतपत्र भेजे जाएंगे. इसका मतलब होगा मताधिकार से जुड़े मौजूदा कानूनों में संशोधन करना.
कैसे मतदान होगा.
चुनाव आयोग के अधिकारियो के अनुसार नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद से मतदान के दिन तक के बीच 14 दिन होते हैं. इसमें डाक मतपत्र प्रकाशित करना और उन्हें भेजना होता है, और मतदाता को उसे लौटाना होता है. इस समय को कम करने के लिए समिति ने इसे इलेक्ट्रानिक माध्यम से भेजने की सिफारिश की है.कानून मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मतदाताओं को मतपत्र डाउनलोड करने के लिए एक बार उपयोग होने वाला पासवर्ड प्रदान किया जाएगा. उन्हें इसे भरना और चुनाव अधिकारियों को भेजना होगा. कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सलाह दी गई है कि मतदाता मतपत्र निकटतम भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावास को भेज सकता है. इसके बाद इसे डिप्लोमैटिक बैग के मार्फत नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय को या चुनाव आयोग को भेजने की जिम्मेदारी दूतावास की होगी.
भारत में अधिकारी इन मतपत्रों को संबंधित चुनाव अधिकारियों को भेज सकता है. सूत्रों का कहना है कि अगर प्रवासी मतदाताओं को अपने मतपत्र डाक से या कोरियर के मार्फत भारत भेजने के लिए उचित धनराशि से ज्यादा खर्च करना पड़ा तो यह यह महंगा मामला होगा और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के उसूलों के खिलाफ जाएगा.इस उद्देश्य के लिए सामान्य नागरिकों को परिभाषित करने वाले जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 20 और लोगों के कुछ वगो की ओर से होने वाले मतदान की विशेष प्रक्रिया से जुड़े जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 60 में संशोधन करना पड़ेगा.
चुनाव आयोग, कानून मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों पर आधारित एक समिति ने पिछले साल उच्चतम न्यायालय में एक रिपोर्ट दाखिल करने से पहले सभी तबकों से सलाह ली थी. न्यायालय के निर्देशों पर एक दूसरी विशेषग्य समिति ने कानूनी खाका तैयार किया है.कानून में संशोधन की यह योजना उच्चतम न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका का नतीजा है, जिसमें कहा गया था कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 20 (ए) मतदान के समय स्थानीय चुनाव क्षेत्र में प्रवासी भारतीय की उपस्थिति पर जोर देती है और यह अंतर्निहित असमानता को जन्म देती है.