शंकराचार्य साईंबाबा विवाद पोस्टर पर हुआ विवाद, हनुमान और साई है चित्र में
रायपुर शंकराचार्य साईंबाबा विवाद पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बार फिर साईं विवाद को हवा दे दी है, उन्होंने भोपाल में एक कार्यक्रम में एक पोस्टर जारी किया है जिसमें हनुमान साईं बाबा पर हमला करते हुए दिख रहे हैं।
पिछले साल उन्होंने कवर्धा में धर्म संसद आयोजित की थी जिसमें 13 अखाड़ों के प्रमुख और चारों पीठों के शंकराचार्यों ने एक मत होकर फैसला किया था कि साईं भगवान नहीं है और उनकी पूजा शास्त्र सम्मत नहीं है। धर्म संसद में यह भी निर्णय लिया गया था कि सभी मंदिरों से साईं की मूर्तियां हटाई जाएं।
शंकराचार्य साईंबाबा विवाद क्यों बुलाई थी धर्म संसद
देशभर में इसे लेकर बहस छिड़ी। कई स्थानों पर लोगों ने मंदिरों से साईं की प्रतिमा निकालकर उसे विसर्जित कर दिया। कई स्थानों पर शंकराचार्य स्वरूपानंद का विरोध हुआ।
2014 में शंकराचार्य ने चातुर्मास कवर्धा में गुजारा, इस दौरान साईं के भगवान नहीं होने की बात दोहराई।
चैलेंज किया कि कोई भी यह साबित कर दे कि साईं की पूजा शास्त्रसम्मत है तो वे अपनी बात से किनारा कर लेंगे।
धर्म संसद की पृष्ठभूमि तैयार हुई, 24-25 अगस्त को कवर्धा में धर्म संसद का आयोजन हुआ।
25 अगस्त को सभी अखाड़ा प्रमुखों और चारों शंकराचार्यों की सर्व सम्मति से तय हुआ कि साईं भगवान नहीं हैं।
25 अगस्त को ही फैसला आने से पहले धर्म संसद में दो साईं भक्त अपना विचार रखने स्टेज पर चढ़ गए। साईं भक्तों ने अपना नाम मनुष्य मित्र और अशोक बताया। संतों ने उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया। मनुष्य मित्र ने कहा था, ‘वह साईं को भगवान मानता है, हिन्दू धर्म किसी को भी भगवान मानने की स्वतंत्रता देता है। साईं के खिलाफ कही जा रही अनर्गल बातों पर अंकुश लगना चाहिए। ऐसा करना धर्म की स्वतंत्रता का हनन है और धर्म संसद में चाहे जो फैसला हो, वह साईं को भगवान मानता आया है और मानता रहेगा।’ इस पर संत भड़क गए और उसे मंच से उतार दिया गया।
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