#Exitpoll2019 पर गहलोत का जवाब सुना आपने !

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आखिरकार एक्जिट पोल की सम्भावनाओ पर टिप्पणी दे ही दी। देर से ही सही लेकिन गहलोत ने राजस्थान के संदर्भ में एक्जिट पोल की सम्भावनाओ को नकार दिया। उन्होने कहा कि उनकी सभी उम्मीदवारो से बात हुई है और वे जीत के प्रति आश्वस्त है। इस इटंरव्यू की खास बात यह भी रही कि गहलोत ने ईवीएम से छेड़छाड़ की सम्भावनाओ से इंकार नही किया है।

आप गहलोत से हुए मीडिया के सवाल जवाब का वीडियो भी देख सकते है और हू ब हू सवालो के जवाब भी नीचे लिखे गए है।

सर नतीजे का दिन करीब है क्या लगता है कांग्रेस की कैसी परफॉर्मेंस रहेगी?

जवाब: अच्छी परफॉर्मेंस रहेगी जिस प्रकार से एग्जिट पोल आए हैं यह कोई पहली बार ऐसी स्थिति नहीं बनी है कई बार पहले भी एग्जिट पोल आए थे और पूरी तरह गलत साबित हुए थे, और तो और 2004 के अंदर जब वाजपेई जी की गवर्नमेंट थी तब भी इंडिया शाइनिंग, फील गुड का माहौल बनाया गया विज्ञापनों के जरिए एग्जिट पोल आए थे उनके पक्ष में आए थे और सरकार 10 साल रही यूपीए की। उसके बाद में भी पिछले राज्यों में चुनाव हुए तब भी ऐसी स्थिति बनी थी तो जरूरी नहीं है कि एग्जिट पोल हमेशा सही हो बल्कि अधिकांश वक्त में ये गलत साबित हुए हैं। मैंने तमाम 25 सीट पर बातचीत करी है कैंडिडेट से भी कल रात को मुझे पूरा यकीन है कि सबका कॉन्फिडेंस बढ़ा हुआ है, हमारे कार्यकर्ता मजबूत है और 23 को जाएंगे काउंटिंग के अंदर पूरी तैयारी के साथ जा रहे हैं और कोई तरह का किसी को भ्रम पैदा नहीं हुआ है एग्जिट पोल से, सब समझते हैं कि एग्जिट पोल के नतीजे में क्या रहने वाला है सब जानते हैं इन बातों को।

सवाल: गहलोत साहब क्या पोस्ट पोल एलाइंसेज़ को लेकर कांग्रेस की वार्ता चल रही है टीएमसी से या जो महागठबंधन में सपा और बसपा थे इनसे बातचीत चल रही है क्या अभी?

जवाब: देखिए मैं उसके अंदर इंवॉल्व नहीं हूं मीडिया में यह खबर आ गई थी कि मुझे जिम्मेवारी सौंपी गई है वह गलत निराधार थी पर पहले से ही जब मैं हेड क्वार्टर मैं था एआईसीसी में तब से ही प्रीपोल और पोस्टपोल के लिए बातचीत चलती रहती है और एक टीम बनी हुई है जो इस काम को कर रही है। मैं हेड क्वार्टर में था तब मैं इनवॉल था उसके अंदर, हेड क्वार्टर के जनरल सेक्रेटरी जो बनते हैं वह इंवॉल्व रहते उसके अंदर इसलिए यह काम तो हर पॉलीटिकल पार्टी करती रहती है और वह हो रहा है काम उसमें कोई दिक्कत नहीं है।

सवाल: सर मध्यप्रदेश में अचानक एक बात उठी आज आने लगा कि नेता प्रतिपक्ष ने चिट्ठी लिखी राज्यपाल को विशेष सत्र बुलाया जाए सरकार विश्वास खो चुकी है, आपको लगता है इस टाइम पर तमाम चीजें यह जो उठ रही है….

जवाब: यह तमाम खाली बस मीडिया के अंदर प्रचार करने के लिए, कोई गवर्नर ना तो बुला सकते हैं, ना बुलाते हैं, ना परंपरा है…. इसलिए यह तो खाली न्यूज़ वैल्यू के अलावा कुछ भी नहीं है। मध्य प्रदेश की सरकार पूरी तरह मजबूत है, 5 साल चलेगी, चाहे मध्य प्रदेश हो, राजस्थान हो या छत्तीसगढ़ हो, हां बीजेपी के कुछ साथियों को सपने आने लग गए हैं वो उनके सपने चकनाचूर हो जाएंगे आप खुद देखेंगे।

सवाल: सर ईवीएम को लेकर सवाल उठने लगे कहीं कह रहे हैं कि वीवीपेट की 50% पर्ची गिननी चाहिए, क्या लगता है आपको कोई डाउट है?

जवाब: देखिए यह बात में कई बार पहले कह चुका हूं कि सुप्रीम कोर्ट माननीय सर्वोच्च न्यायालय स्वयं कन्वींस हो गए थे कि ईवीएम में गड़बड़ हो सकती है, टेंपरिंग हो सकती है तभी तो उन्होंने वीवीपैट का प्रावधान किया इसका मतलब तो तय है कि इसमें टैंपरिंग होने की संभावना तभी तो वीवीपैट लाया गया तो वो संभावना तो है इसीलिए मांग उचित है कि 50% काउंटिंग करो, या 25% करो और मैंने सुना है कल धरना दे रहे हैं मिस्टर चंद्रबाबू नायडू तो यह नौबत क्यों आ रही है? पिछले सप्ताह हम लोग गए थे इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया में, मैं भी साथ था, कल भी शायद हम जा सकते हैं तब भी मैंने यह क्वेश्चन किया था वहां पर कि सुप्रीम कोर्ट जब मान चुका है टैंपरिंग हो सकती है तब ही वीवीपैट आया है तो क्यों नहीं दुनिया के तमाम मुल्कों में अमेरिका में, इंग्लैंड में, विकसित राष्ट्रों के अंदर यह मशीनें समाप्त हो गई है तो हिंदुस्तान जैसे मुल्क में संदेह पैदा हो गया जनता में और इतने बड़े डेमोक्रेटिक मुल्क के अंदर संदेह नहीं रहना चाहिए पब्लिक इंटरेस्ट में नहीं है और डेमोक्रेटिक इंटरेस्ट में नहीं है तो क्यों नहीं आप इसकी मशीन को ही खत्म कर दो ईवीएम के सिस्टम को खत्म कर दो यह मैंने खुद ने सवाल उठाया था यह सवाल आज पूरे देश में चर्चा में बना हुआ है और संदेह है बना हुआ है।

सवाल: सर इलेक्शन कमीशन में ही आम सहमति नहीं रही है जिस तरीके से अशोक लवासा ने आकर कहा कि मेरे डिसेंट तक को ही सामने नहीं रखा गया उसको रिकॉर्ड नहीं किया गया तो आपको लगता है कि कहीं ना कहीं इलेक्शन कमीशन की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं?

जवाब: निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठ रहे हैं, निष्पक्ष रहा ही नहीं इलेक्शन कमीशन यह सिद्ध हो गया है पूरे इलेक्शन के अंदर और आजादी के बाद में पहली बार जिस कदर इलेक्शन कमीशन के ऊपर आरोप लगे हैं ऐसे आरोप पहले कभी नहीं लगे थे और कोई जवाब देते हुए नहीं बनता है इलेक्शन कमीशन के अंदर यह स्थिति बन गई है। 1 मेंबर का 4 पत्र लिखना कुछ मायने रखता है, सुप्रीम कोर्ट के चार जजेज का प्रेस कॉन्फ्रेंस करना मायने रखता है, सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी का दुरुपयोग मायने रखता है तो आप देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हो पूरा मुल्क देख रहा है और इसीलिए मैं बार-बार कहता हूं मीडिया दबाव के अंदर है चाहते हुए भी सच नहीं दिखा पा रहा है।

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