अवैध खनन व ओवरलोडेड परिवहन से जार-जार रो रहा है कोटपूतली

सडक दुर्घटनाओं व गंभीर बीमारियों ने क्षेत्रवासियों पर कसा शीकंजा विभिन्न आदेषों की अवहेलना से बर्बादी की कगार पर पहुंचा क्षेत्र कोटपूतली (महेशसिंह तंवर)। क्षेत्र में अवैध खनन, ओवरलोडेड परिवहन व हैवी ब्लास्टिंग यहां के खनन माफियाओं के साथ-साथ पुलिस प्रषासन के अधिकारियों के लिए राजनैतिक व प्रषासनिक के साथ-साथ भारी रकम के इधर-उधर करने का विषय तो है ही लेकिन दुसरा बिन्दु जो यहां के आमजन से जुडा हुआ है वह यह है कि पिछले 15 वर्षो से युद्ध स्तर पर होने वाले इन कार्यो से उत्पन्न प्रदूषण के कारण वर्ष 2005 के बाद से ही इनसे पनपने वाले अस्थमा, दमा, ध्वनि रोग, एलर्जी,हार्टअटैक, बीपी, मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, त्वचा रोग, सिलिकोसिस आदि गंभीर बीमारियों से जुझ रहे मरीजों की संख्या 3 गुणा से भी अधिक हो गई है। यह बात समाजसेवी नित्येन्द्र मानव द्वारा एकत्रित किये गये ताजा अध्ययन में सामने आई है। मानव के मुताबिक सरकारी अस्पतालों के रिकॉर्ड के अनुसार एलर्जी के इन्डोर रोगियों में लगभग 200 गुणा, दमा व अस्थमा के इन्डोर रोगियों में 10 गुणा, हार्ट के रोगियों में 7 गुणा साथ ही मानसिक तनाव व चिडचिडापन से जुडे रोगियों में 160 गुणा व त्वचा के रोगियों की संख्या में लगभग 50 गुणा वृद्धि हुई है। अस्थमा के आउटडोर रोगियों की संख्या वर्ष 2005 तक सालाना करीब 1500 थी जो वर्ष 2015 में बढकर 6 हजार से भी अधिक हो गई है। इस प्रकार 10 वर्षो में श्वास से जुडे मरीजों की संख्या में 4 गुणा से भी अधिक वृद्धि हुई है। हार्ट व बीपी के आउटडोर मरीज भी जो सालाना करीब 1 हजार हुआ करते थे उनकी संख्या भी 4 हजार तक पहुंच चुकी है। यही नहीं प्रदूषण से गंभीर बीमारियां उत्पन्न होने के साथ-साथ क्षेत्रवासी तेजी से मौत के मुंह में भी समा रहे है। राजकीय बीडीएम अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार पिछले 4 वर्षो में हार्ट अटैक से 32 व अस्थमा से 7 की मौत हुई है। दृष्टिगोचर विषय यह है कि कोटपूतली क्षेत्र में खान विभाग द्वारा अधिकृत चेजा-पत्थर सहित अन्य खनिजों की करीब 135 खानें है। जिनसे राजस्व तो बेहद कम प्राप्त होता है लेकिन क्षेत्रवासियों की जान पर इनसे होने वाला प्रदूषण यमदुत बनकर खडा हुआ है एवं भारी तबाही मचा रहा है। सडक दुर्घटनाओं के भी भयावह है आंकडे-कोटपूतली सीओ सर्किल के अन्तर्गत आने वाले पुलिस थाना क्षेत्र प्रागपुरा,कोटपूतली व पनियाला में पिछले 10 वर्षो के सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार हुई 4054 सडक दुर्घटनाओं में 1373 लोगों की मृत्यु, 4549 घायल व 6531 वाहन क्षतिग्रस्त हुए है। राजस्व 77 करोड का सडकें टुटी 90 करोड की-इसके ठीक उलट अगर खान विभाग द्वारा एकत्रित किये गये राजस्व का आंकलन किया जाये तो पिछले 10 वर्षो में 77 करोड का राजस्व एकत्रित किया गया है लेकिन सिर्फ ओवरलोडेड वाहनों के संचालन से टुटने वाली सडकों की किमत ही 90 करोड है। नियमानुसार क्षेत्र में राजमार्ग छोडकर किसी भी सम्पर्क सडक पर 16 टन से अधिक वजन भरकर वाहन चलाना गैर कानुनी है। कुछ सडकों पर तो महज 9 टन तक वजन भरकर ही वाहन चलाया जा सकता है। लेकिन भारी ओवरलोडेड वाहनों के बदस्तुर संचालन के चलते यहां के दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 72 करोड रूपयों की लागत से बना एलीवेटेड पुलिया भी दो बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। जिसमें लगे जाम से 15 दिनों से अधिक समय तक लाखों लोगों को परेषानी उठानी पडी थी। यही नहीं इससे देष को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से एक हजार करोड रूपयों का आर्थिक नुकसान भी उठाना पडा था। इसको लेकर स्थानीय थाना कोटपूतली में दर्ज की गई एफआईआर संख्या 519/2014 में पुलिस ने अपने अनुसंधान में ओवरलोडेड वाहनों से ही पुलिया के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि की है। सर्विस लेन भी चार बार हुई क्षतिग्रस्त-ओवरलोडेड वाहनों के संचालन से कस्बा स्थित एलीवेटेड पुलिया की करोडोें रूपयों की लागत से बनी सर्विस लेन भी चार बार क्षतिग्रस्त हो चुकी है। जबकि कोटपूतली क्षेत्र में 13 सडकों का अस्तित्व पूर्णतया मिट चुका है। जिनकी कुल लम्बाई 80 किमी से अधिक है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भी ओवरलोडेड के भारी संख्या में संचालन से परेषान है। एनएचएआई द्वारा जयपुर जिले की सीमा से लेकर हरियाणा की सीमा तक राजमार्ग को ठीक करने में 16 करोड 90 लाख 24 हजार 687 रूपये की राषि खर्च की जा चुकी है। बीमारियों व प्रदूषण के प्रमुख कारण-क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन फैल रही गम्भीर बीमारियों का मुख्य कारण क्षेत्र में बड़े स्तर पर हो रहे अवैध खनन के साथ ही फैल रहे प्रदूषण को माना जा रहा है। रोजाना हजारों की संख्या में ओवरलोड वाहनों के संचालन से सडकों के क्षतिग्रस्त होने, दिन-रात धूल-मिट्टी उडने, करीब 10 वर्ष से अधिक समय तक लगातार 150 से भी अधिक बजरी क्रेशरों का संचालन भी बिमारियों का एक कारण है। साथ ही कृषि योग्य भूमि में बजरी खनन होने से कृषि भूमि के बंजर भूमि में तब्दील होने से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। बजरी खनन के चलते बड़ी संख्या में पेड़ नष्ट हो गए है। जल स्तर काफी नीचे चला गया और नदी-नालों, बांधों और अन्य जल संरचनाएं सहित प्राकृतिक बहाव क्षेत्र अवरुद्ध हो गए। जिससे जल का संचार खत्म हो गया और सूखे को बढ़ावा मिलने लगा है। सरकार व जिला प्रशासन द्वारा लम्बे समय तक अवैध खनन और ओवरलोड के प्रति अनदेखी बरतना भी प्रमुख वजह हैं। हाईकोर्ट के समक्ष रखेगे आंकडे-संकलनकर्ता नित्येन्द्र मानव ने बताया कि उक्त आंकडे मात्र सरकारी विभागों से जुटाये गये है। जबकि इसके विपरित आंकडों की तुलना में यहां की वास्तविक स्थिति अत्यधिक भयावह है। जिसकी सम्पूर्ण रिपोर्ट इस सम्बंध में दायर जनहित याचिका में हाईकोर्ट के समक्ष रखी जायेगी। उल्लेखनीय है कि मानव ने इस सम्बंध में जहां एनजीटी व राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर रखी है। साथ ही अनेकों बार धरना प्रदर्षन कर उनमें विष्व स्तरीय सामाजिक कार्यकर्ताओं व पर्यावरण विषेषज्ञों को शामिल कर सुधार की मांग की जाती रही है। लेकिन सरकार व प्रषासन द्वारा हर बार लिखित समझौते के माध्यम से आन्दोलन समाप्त करवा दिया जाता है। जिसके बाद पुनः स्थिति जैसी की तैसी वाली हो जाती है। मानव के अनुसार इसको लेकर पीएमओ, सीएमओ, एनएचआरसी द्वारा भी अनेकों गंभीर आदेष दिये जा चुके है। लेकिन खान माफिया की मजबुत पकड व प्रषासन एवं सरकार की षिथिलता के चलते आदेषों की कार्यवाही महज कागजों तक सिमट कर रह जाती है।

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