अनिल सक्सेना “अन्नी” एक जरा सी बात पर वो विद्रोही हो गये जी। बात ना बात की पूंछ बस लगे उटपटांग गरियाने।पेट्रोल कुछ पैसा महंगा क्या हो गया,बस सर पर आसमान उठा लिया।असल मे वो है ही नकारात्मक सोच के। इनसे पूछो जितने पैसे इस पेट्रोल के बढ़ते हैं, उतने की तो ये पान की डंडी भी नही खरीद सकते।ऐसी बाते करते हैं जैसे सरकार को और कोई काम ही नही। सरकार जिस दिशा में आगे बढ़ रही है उसकी तो वो तारीफ करते नही बस आलतू फालतू के मुद्दों को…
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योद्धा की स्याही : व्यंग्य
अनिल सक्सेना “ अन्नी “ असल में हमें बचपन की यादों के साथ खेलने में बड़ा मज़ा आता है और इत्तिफ़ाक़ से आज फिर से इस सुखद अनुभूति को सहलाने का एक सुनहरा मौक़ा हमें हाथ लग गया। हुआ यूँ कि आज अख़बार में पढ़ा कि किसी शरारती योद्धा ने किसी नेता के मुखोटे पर स्याही का छिड़काव कर दिया है और इस शुभ कार्य को अंजाम तक पहुचाने के बाद राज़ी ख़ुशी ख़ुद को पिटाई के लिए समर्पित भी कर दिया। बस,फिर क्या था, इसे पढ़ते ही हम अपने फ़्लेश…