काश सेल टैक्स की जगह इन्कम टैक्स में होता! केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में साठ साल की नौकरी में एक प्रमोशन

85 फीसदी संस्थानो से सर्विस टैक्स वसुला जाना सम्भव नही.

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में सहायक आयुक्त की 30,000 पदो के मुकाबले 11,500 पदो पर है काम का भार

20 जुलाई जयपुर
इस वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने सर्विस टैक्स के दायरे में ज्यादातर सभी सेवाओ को शामिल तो कर लिया . लेकिन इन सेवाओ से राजस्व वसुल पाना दूर की कोडी है. जयपुर में अखिल भारतीय केन्द्रीय उत्पाद शुल्क राजपत्रित कार्यकारी अधिकारी संघ की प्रेस काँफ्रेस में चौकाने वाले आकडे सामने आए है.  संघ के अध्यक्ष शुशील कुमार पारीख का कहना है कि इस बजट में सरकार ने सर्विस टैक्स की सभी श्रेणियो को खत्म कर एक नेगेटिव लिस्ट जारी की है जिसके बाद फैक्ट्ररियो में होने वाले कुछ खाद्य उत्पादो को छोडकर सभी सेवाए दायरे में शामिल हो गई है.

प्रेस काँफ्रेस में मौजूद पदाधिकारियो का कहना है कि केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में एसएससी के जरिए भर्ती होने वाले निरीक्षक को साठ साल में सिर्फ एक प्रमोशन मिलता है जिसके चलते उनकी वेतन भत्ते अन्य विभागो में मौजूद समकक्ष पदो के मुकाबले 30,000 रुपय कम मासिक का अंतर होता है. माँग के अनुसार कार्मिक विभाग हर पांच साल बाद काडर रिव्यू करता है लेकिन विभाग में  2007 से यह बकाया है. मौजूदा व्यवस्था में सहायक आयुक्त का पहला प्रमोशन 18 साल में दुसरा 3 साल में होता है लेकिन ज्यादातर कर निरीक्षक अपने सेवाकाल में पहला प्रमोशन ही ले पाते है. जबकि एसएससी परीक्षा में साथ उत्तीर्ण हुए आयकर निरीक्षक अपने सेवाकाल में सात प्रमोशन लेकर कमीश्नर तक पहुच सकता है.

सरकारी खाजाने पर पड रही है मार

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क हर साल मौजूदा 65,000 कर्मियो के जरिए साल में सर्विस टैक्स के मद में 1 लाख 24 हजार करोड रुपय वसुलता है. जबकि अगर तीस हजार पदो की स्वीकृति मिल जाए तो यह आकडा 3 लाख हजार करोड तक पहुच सकता है. फिलहाल देश में सिर्फ 15 फीसदी रजिस्टर्ड करदाता है. जबकि 85 फीसदी मध्यम और निम्न दर्जे के सर्विस टैक्स दाता की पहचान सर्वे के जरिए हो तो ही वसुले जा सकते है मौजूदा स्टाफ स्वम आने वाले सर्विस टैक्स के हिसाब किताब में ही सालभर खपा रहता है.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *