जयपुर के सिटी पैलेस में बच्चो की सास्कृतिक विरासत की धूम

 

महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय, रंगरीत सं स्था एवं सरस्वती कला
के न्द्र के सं युक्त तत्वावधान में ग्र ीष्मकालीन सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर का समापन
समारोह आज सिटी पैलेस के सवर्तोभद्र चौक में किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में देशी विदेशी पर्यटक और अभिभावक भी उपस्थित थे ।इस अवसर पर बच्चों ने सरस्वती वंदना पेश की। सिटी पैलेस के निदेशक  युनु स खिमानी ने बताया कि नई पीढ़ी को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं से रूबरू कराने के उद्दे ष्य से महिने भर से आयोजित इस निःषुल्क कार्यषालाओं में लगभग 250 बच्चों ने प्रषिक्षण प्राप्त किया। सरस्वती वंदना के बाद बच्चों ने राग यमन गा कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। यमन राग के बाद जुनियर बच्चों का जयपु र घराने का विष्वविख्यात कथक नृत्य और लोक नृत्य रूण झुण की लुभावनी प्र स्तुति पेष की गई। इसके पश्चात् बच्चों ने तबला और ढोलक पर ताल कहरवा और उसके बाद चरी नृत्य का कार्यक्रम प्र स्तु त किया। कार्यक्रम मे ं सिनियर बच्चों द्वारा भी कथक नृत्य प्रदर्षि त किया गया जिसके बाद सितार वादन किया गया जो कि राग मधमास सांरग और दादरा ताल पर पर आधरित था। सुगम संगीत में बच्चों ने पल्लो लहराये, मन लागा मैरो फकीरी में सुना कर सभी की तालिया बटोरी। कार्यक्रम के अंत में लुभावना घुमर प्र स्तु त कर बच्चों ने सबका मन जीत लिया। इस अवसर पर शिविर के दौरान बच्चों द्वारा लिये गये फोटोग्र ाफ्स औ र बनाई गई पेन्टिंगस् को प्रदर्शित किया गया था। फोटोग्र ाफी के प्रशिक्षक वरिष्ठ फोटोग्र ाफरयोगेन्द्र गुप्ता ने बताया कि इस षिविर में बच्चों को कैमरे के प्रकार, अप्र ेचर, स्पीड, कलर बैलेंस, इसको उपयोग करने के तरीके और कैमरे में उपलब्ध फीचर्स के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही बच्चों को इंनडोर, आउटडोर तथा लैण्डस्केप छायाचित्रों को कैमरे से कैप्चर करने की तकनीक के बारे में जानकारी दी गई। पेंिन्टग के प्रशिक्षक हेमन्त रामदेव ने बताया कि बच्चो ं ने शिविर के दौरान राधा कृष्ण के प्रेम में सराबोर विभिन्न मुद्र ाओं को कांगडा और किशनगढ़ शैली में बनाने की ट्रेनिंग दी गई। इसके अलावा बच्चों को प्र ाकृतिक रंगों और हस्तनिर्मित कागज बनाने की जानकारी भी दी। श्री जटराना ने कार्य क्रम के अंत में उपस्थित गुरूजनों, विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं देशी विदेशी पर्यटकों को धन्यवाद दिया और कहा कि एक महिने के अल्प समय में बच्चों ने उत्कृष्ठ सांस्कृतिक कार्य क्रम प्र स्तु त कर यह साबित कर दिया है कि यदि इन बच्चों को लगातार इन भारतीय कलाओं का प्रशिक्षण दिया जाए तो ये इन कलाओं में नये आयामों को छु सकते ह

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