orop पूर्व सैनिकों का गु्स्सा शांत कर पाएगी मोदी सरकार , किस बात का है विरोध

National Desk चालीस सालो से पूर्व सैनिको की मांग वनरेंक वन पैंशन चली आ रही है । मोदी सरकार ने इसे लागू तो किया पहली किश्त के रुप में 5500 करोड़ रुपए को जारी भी किए । रक्षामंत्री मनोहर परिकर का दावा कर रहे है केवल 5 फीसदी पूर्व सैनिकों को लाभ नही मिला है बाकी को बढ़ी हुई पैंशन का लाभ मिलना शुरु हो गया है । क्या है आपत्ति जिन्हे लेकर पूर्व सैनिको में असंतोष है ।

orop केवल पू्र्व सैनिकों के वेतन में विसंग्तियां हैं

पूर्व सैनिकों का दर्द है कि ओआरओपी के लागू हो या ना हो इससे पूर्व सैनिक अधिकारियों को कोई फर्क नही पड़ता । लेकिन अगर एक आम फौजी समय से पहले सेवानिवृत्त होता है तो उसे बहुत फर्क पड़ता हैं । कल्पना करे कि अगर एक सुबेदार को नायब सुबेदार या हवलदार को कम पेंशन मिलेगी तो उनका परिवार हर महीने शर्मिदंगी महसूस करता होगा । ऐसे पूर्व सैनिकों ने भारत पाक युद्द और भारत चीन युद्द में देश के लिए लड़े लेकिन उन्हें अब कम पैंशन के कारण आपनी सरकार और देश से लड़ने पर मजबूर होना पड रहा है

रक्षामंत्री मनोहर परिकर का भी कहना है कि केवल चार-पांच फीसद को पूर्व सैनिक इनमें से कई भारत चीन 1962 युद्द के है । रक्षामंत्रालय के पास उनका रिकॉर्ड नहीं मिलने के कारण वन रैंकवन पैंशन नहीं मिल पा रही है।

हर संसोधन में केवल पूर्व सैनिकों की पैशन संशोधन हुआ क्यों

40 वर्षों से वन रैंक वन पैंशन का मुद्दा हैं हर बार पूर्व सैनिकों की पैंशन निर्धारण रिवाइज हुआ कांग्रेस की पूर्व सरकारे पहले इस मुद्दे को लटकाती रही फिर संप्रग सरकार ने 2004 से 2014 के बीच दस वर्षों में तीन बार पूर्व सैनिकों की पेंशन में संशोधन किया था। हर बार पूर्व सैनिकों की जगह पूर्व अधिकारियों की राय को तव्ज्जों दी गई। पूर्व सैनिको का प्रतिनिधत्व ना के बराबर रहा। इसी गलती को रेड्डी कमेटी में दोहराया गया , पूर्व सैनिक को इसमें रखा ही नही गया ।

सातवे वेतन आयोग की सिफारिशों से पूर्व सैनिक असंतुष्ट

पूर्व सैनिकों रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के क्रियाकलाप से नाराज हैं। पूर्व सैनिकों का आरोप है कि मंत्रालय ने सरकार के सामने पूर्व सैनिकों को लालची साबित करने में कोई कसर नही छोडी । इसके अलावा पूर्व सैनिकों की वेतन विसग्तियों पर निर्णय पूर्व सैनिक अधिकारियों या सैनिक अधिकारियों ने उदारतापूर्ण व्यवहार नही किया जो कि स्वम की पैंशन निर्धारण में करते आए है । पूर्व सैनिकों को रेड्डी कमेटी से भी ज्यादा उम्मीद नही है इसके लिए भी पूर्व सैनिक रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहा है।

 

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