जहर लगे केले पहचाने के तीन असरदार तरीकें !

Health Desk  सेहत को नुकसान पहुचाने वाले रसायनयुक्त केले की पहचाने 3 असरदार तरीको के जरिए की जा सकती हैं। आप कैसे पहचानेगे जो केला आप खा रहे है वो आपकी सेहत को नुकसान तो नही पहुचा रहा। केले को पकाने के लिए कही रसायन या कैमिकल का इस्तेमाल  तो नही हुआ। यह सवाल हमे केले खरीदते वक्त सोचना चाहिए लेकिन अक्सर हम सेहत खराब होने पर सोचते है आखिर हमने क्या खाया और खराब सेहत की वजह क्या हैं। ध्यान रहे अगर आप दवाई से पके केले खा रहे हों कुछ समय बाद आपकों हैल्थ  प्राब्लम्स हो सकती हैं। अकसर आपका पेट खराब हो सकता है, और खट्टी डकारे ,पेट मे जलन ,सिरदर्द आदि हो सकते हैं।

हानिकारक, रसायनयुक्त केले की पहचान रंग से कैसे करे

हानिकारक, रसायनयुक्त केले की पहचान रंग से कैसे करे या नेचुरल तरीके या कम रसायन इस्तेमाल किये हेल्थी फ्रूट केले की पहचान आसानी से रंग,आकार,छिल्के को देखकर की जा सकती हैं। केलों का रंग अगर गहरा पीला हैं, छिल्का हल्का सख्त और छिल्के पर काले धब्बे हैं, तो आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं। इसके विपरित केमिकल लगे केले निंबू रंग जैसे पीले, साफ चमकीले , छिल्के सख्त इसलिए होते है क्योकि उन्हे कार्बाइड से पकाया जाता हैं। खेतों से बाजार तक पहुचने से हफ्तों पहले कच्चे केलों को तोड़ उन्हे ट्रकों या अन्य साधनों से बडे विक्रेताओं तक पहुचाया जाता हैं। बाजारो में मांग के अनुसार बडे विक्रेता केलों पर रसायन या कार्बाइड को पानी में मिलाकर फलों पर छिडकते है और 2- 3 दिन में फल पक जाता हैं।

हेल्थी फ्रूट पर केमिकल का असर छिलके के अंदर तक

अगर आप यह सोच रहे है कि केमिकल का इस्तेमाल छिलके पर हुआ हैं ऐसे में केले के अंदर का हिस्सा सुरक्षित होगा। आप गलत सोच रहे हैं। कार्बाइड या केमिकल की उपरी परत लगातार अपने असर को बनाए रखने के लिए डंठल के जरिए रसायनों को केले के अंदरुनी हिस्से तक पहुचता हैं। प्रकृति ने केले का छिलका फल की सुरक्षा के लिए बनाया है और फल को पोषण देने का काम भी छिलके का ही होता है। ऐसे में केले का अंदरुनी हिस्सा गुद्दा सुरक्षित कैसे रह सकता हैं।

हेल्थी फ्रूट केला का डंठल से पहचाने 

प्राकृतिक रुप से पके या कम केमिकल इस्तेमाल हुए फल खासकर केले का डंठल काला और नमी कम होने के कारण कठोरता खोने लगता हैं और यही कारण है कि ऐसे डंठल के केले जल्द हाथ लगाते ही गुच्छे से अलग हो जाते हैं। जबकि इसके विपरित रसायनयुक्त केलों का डंठल पर रसायन का असर होता है और उसकी सडने की प्रक्रिया धीमी हो जाती हैं। अर्थात केले तक हवा और नमी रोकने के लिए अवरोधक के रुप में कैमिकल की परत काम करती हैं।

 

 

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