June 03, 2014

वसुन्धरा राजे के राजस्थान भाजपा अध्यक्ष बनने से न उनकी जीत हुई ना संघ की हार

By admin - Tue Feb 05, 11:45 am

  • 0 Comments
  • 0 views
  • Tweet
  • Email Email
  • Print Print
187701_100001898441962_732110326_q
रमेश सर्राफ धमोरा ( वरिष्ठ पत्रकार का बेबका विश्लेषण वसुंधरा राजे और कटारिया के मनोनयन पर )
झुंझुनू। राजस्थान में वसुन्धरा राजे आखिर कार प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष बन ही गयी। वसुन्धरा राजे की नियुक्तिी को राजनीतिक विrssशलेषक वसुन्धरा राजे की जीत के तौर पर देख रहे हैं। मगर वसुन्धरा राजे के अध्यक्ष बनने से राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की किसी भी मायने में हार नहीं मानी जा सकती है। वसुन्धरा राजे पूर्व में भी सन 2003 में राजस्थान भाजपा की अध्यक्ष बनायी गयी थी तब उन्होने पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर पैदा कर विधानसभा चुनावों में पहली बार पूर्ण बहुमत से पार्टी की सरकार बनवायी थी।
2003 से पूर्व भाजपा के कद्दावर नेता रहे स्व.भैरोंसिंह शेखावत ने राजस्थान में तीन बार 1977,1990 व 1993 में भाजपा व तत्कालीन जनसंघ की सरकार बनवायी मगर तीनों ही बार उन्हे पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया व उन्होने जोड़तोड़ कर ही सरकारें चलायी। 1977 में भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी की सरकार में तो लोकदल,समाजवादी व अन्य कई अन्य विचारधारा के दल
फोटो आभार Shyam Sunder Dadhich  

शामिल थे। 1990 व 1993 में भी प्रदेश में भाजपा जनतादल के समर्थन से ही सरकार बना सकी थी। 2003 में वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान में भाजपा ने पहली बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत से सरकार बना पायी थी। 2003 में वसुन्धरा राजे को केन्द्र की राजनीती से राजस्थान भेजा गया था जिसमें संघ की पूर्ण सहमती थी। उस वक्त वसुन्धरा ने अपनी मेहनत से राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस को 156 सीटो से मात्र 56 पर समेट कर राजस्थान में 120 सीटे हासिल की थी।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने काफी सोच समझ कर ही वसुन्धरा राजे को कमान सौंपी हैं। उन्हे पता है कि वसुन्धरा का विरोध करने वाले भाजपा के नेताओं के पास न तो वसुन्धरा जैसा जनाधार न ही ग्लेमर है। वसुंधरा को प्रदेश अध्यक्ष व गुलाब चन्द कटारिया को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा आलाकमान ने राजस्थान भाजपा में लम्बे अरसे से व्याप्त गुटबाजी को भी समाप्त किया है। इसका भी लाभ आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिलना तय माना जाने लगा है। अब आगामी विधानसभा चुनाव वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। आगामी विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए भाजपा के पास इसके अलावा कोई विकल्प था भी नहीं। चाहे समझौते के तहत संघ लॉबी के गुलाब चंद कटारिया को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है, मगर जीतने के लिए पार्टी को वसुंधरा के चेहरे का ही इस्तेमाल करना पडेगा।़ उनकी नियुक्ति के साथ पिछले कई दिन से उहापोह में जी रहे पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं व विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों ने राहत की सांस ली है और उनके चेहरे पर खुशी छलक आई है। पार्टी की अंदरूनी कलह की वजह से मायूस हो चुके कार्यकर्ता में भी उत्साह का संचार हुआ है। समझा जाता है कि अब पार्टी पूरी ताकत से चुनाव मैदान में ताल ठोंकेगी और उसका प्रदर्शन बेहतर होगा।
राजस्थान में भाजपा काफी समय से दो गुटो में बंटी हुई है। एक बड़ा गुटा वसुंधरा राजे के साथ है, जिनमें भाजपा के मौजूदा अधिकांश विधायक तो हैं ही साथ ही दूसरे दलों से पार्टी में आये नेता शामिल हैं वहीं दूसरा धड़ा राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ पृष्ठभूमि का है, जिसमें प्रमुख रूप से प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया, पूर्व सांसद रामदास अग्रवाल, पूर्व मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी, घनश्याम तिवाड़ी, अरूण चतुर्वेदी आदि शामिल हैं।
दोनो गुटो की लड़ाई गत वर्ष तब खुलकर आयी थी जब गुलाब चन्द कटारिया ने मेवाड़ में रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया तो वसुंधरा राजे ने इसे चुनौती समझते हुए अपनी समर्थक विधायक किरण माहेश्वरी के जरिए विरोध करवाया। नतीजे में विवाद इतना बढ़ा कि वसुंधरा ने विधायकों के इस्तीफे एकत्रित कर हाईकमान पर भारी दबाव बनाया। उसके बाद कटारिया को अपनी यात्रा समाप्त करने को विवश होना पड़ा था।
वसुन्धरा को अध्यक्ष बनाने की घोषणा से पहले तक संघ लॉबी ने पूरा दबाव बना रखा था कि उन्हे किसी सूरत में अध्यक्ष नहीं बनने देवें, मगर आखिरकार कटारिया को नेता प्रतिपक्ष बनाने की एवज में वसुंधरा का नेतृत्व स्वीकार करना ही पड़ा। हालांकि यह तय है कि टिकट वितरण में वसुंधरा को पूरा फ्री हैंड मिलेगा और पार्टी के जीतने पर मुख्यमंत्री तो वसुंधरा ही बनेंगी। वसुन्धरा को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करके ही आगामी विधानसभा चुनाव लड़ा जायेगा। नितिन गडकरी के अध्यक्ष रहने के दौरान ही यह तय हो गया था कि राजस्थान में वसुंधरा के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा, मगर राजनाथ सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से संघ लॉबी कुछ हावी हो गई थी जिससे समीकरणों में कुछ बदलाव आया था। इसी वजह से आखिरी वक्त तक खींचतान मची रही व वसुन्धरा के नाम की घोषणा में तीन -चार दिनों का विलम्ब हुआ। संघ लॉबी अपने गुट के कटारिया को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर ही राजी हुई।
राजस्थान में वसुंधरा राजे पार्टी से कितनी बड़ी हैं और उनका कोई विकल्प ही नहीं है, इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि हाईकमान को पूर्व में भी उन्हें विधानसभा में विपक्ष के नेता पद से हटाने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ गया था। सच तो ये है कि उन्होंने पद छोडऩे से यह कह कर साफ इंकार कर था दिया कि जब सारे विधायक उनके साथ हैं तो उन्हें कैसे हटाया जा सकता है। हालात यहां तक हो गए थे कि उनके नई पार्टी का गठन तक की चर्चाएं होने लगीं थीं। बाद में बमुश्किल पद छोड़ा भी तो ऐसा कि उस पर करीब साल भर तक किसी को नहीं बैठाने दिया। आखिर पार्टी को मजबूर हो कर दुबारा उन्हें पद संभालने को कहना पड़ा।
गत वर्ष राज्यसभा चुनाव में राम जेठमलानी को अपनी चतुरायी से जितवा कर उन्होने अपनी ताकत का अहसास करवा दिया था। राजस्थान की भाजपा में वसुन्धरा राजे एक ऐसा स्तम्भ बनचुकी हैं, जिसका केन्द्रीय नेतृत्व के पास भीकोई काट नहीं है। राजस्थान में वसुन्धरा राजे के मुकाबले एक भी ऐसा नेता नहीं है, जो जननेता कहलाने योग्य हो,तथा जिसके नेतृत्व में चुवाव लड़ा जा सके। पार्टी आलाकमान को साफ दिख रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में केवल वसुन्धरा राजे ही पार्टी को चुनावों में जीत दिला सकती है। इसीलिये उनकी अध्यक्ष पद पर ताजपोशी की गयी है। अब इस बात का पता तो चुनावी नतीजों के बाद ही लग पायेगा की वसुन्धरा राजे राजस्थान भाजपा के सभी गुटो के नेताओं को एकसूत्र में बांध कर प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस को धूल चटा सकने में कितनी सफल हो पाती है।
वसुन्धरा राजे के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस भी चौकन्नी हो गयी है। अब कांग्रेस को भी अपने संगठन में बदलाव करना होगा तभी वह वसुन्धरा राजे को टक्कर दे पायेगी। राजस्थान के कांग्रेस संगठन में भी अब बदलाव तय माना जाने लगा है।
लेख पर अपनी प्रतिक्रिया एवम विचार हमे [email protected] पर भेज सकते हैं
  • 0 Comments
  • 1 Star2 Stars3 Stars4 Stars5 Stars (No Ratings Yet)
    Loading ... Loading ...
  • 0 views
  • Tweet
  • Email Email
  • Print Print

Leave a Reply

Click here to cancel reply


1 + two =

News Widget