आज भारत में दैनिक जीवन कैसा है?
- द्वारा अनिर्विष रचनाकार
- जुल॰, 30 2023
आधुनिक युग की दिशा में भारत में दैनिक जीवन का गतिविधियों का परिचय
अगर आपको भारतीय संस्कृति और पारंपरिक समाजिक संस्कृति के बारे में आधुनिकता के लेंस के माध्यम से विचार करना होता है, तो बिल्कुल सही जगह हैं आप. मुझे अपने पुराने दिनों की याद आती है जब मैं अपने बचपन के दिनों में अपने दादाजी के साथ गांव की गलियों में घूमता था, और उनकी कहानियों से भरपूर था, वे हमेशा मुझे भारतीय संस्कृति और परंपरा के बारे में सिखाते थे.
व्यापार और रोजमर्रा की ज़िन्दगी: एक अद्वितीय मिश्रण
मैं जैसा सोचता हूँ, एक बार मैं अपने पुराने दोस्त के साथ एक बैठक में बैठा था, जब मैंने एक बात नोट की कि व्यापार और रोजमर्रा की ज़िन्दगी के बीच का संबंध कई तरह से अनोखा होता है। आज भारत में, हम आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच की यात्रा में हैं। और यह व्यापार और रोजमर्रा की ज़िन्दगी का एक टांगो नृत्य जैसा होताहै.
रोजमर्रा की ज़िन्दगी में भारतीय भोजन: किसी रसोईघर के इतिहास से अधिक
जैसे ही हम बात करते हैं, मेरे मन में एक कहानी आती है, जब एक दिन, मेरे छोटे बेटे परव ने मुझे अपने विद्या आवंतन के लिए एक भारतीय व्यंजन बनाने की योजना बताई। मैंने सोचा, यह एक अच्छा अवसर हो सकता है उन्हें हमारे भारतीय रसोई के बारे में और अधिक बताने का।
शैक्षिक जीवन और नवीनता: भारत की यात्रा
आज, भारत में शिक्षा का माहौल पिछले कुछ दशकों में पूरी तरह से बदल गया है। हम अब डिजिटल ज्ञान के युग में जी रहे हैं, जहां कम्प्यूटर और मोबाइल फोन ज्ञान स्रोत हैं। पिछले कुछ सालों में, मेरे बड़े बेटे के साथ मेरा अनुभव भी बदल गया है। हालांकि, यह मेरे लिए आश्चर्यजनक था, लेकिन मैंने सोचा कि यह एक खुशनुमा ट्रांसफॉर्माशन था।
मनोरंजन और सांस्कृतिक जीवन: भारत की अनगिनत प्रकार
जब सोचा जाता है, पहली चीज़ जो मन में आती है, वह बॉलीवुड है - भारत का मनोरंजन उद्योग। लेकिन, मनोरंजन भारत में केवल फ़िल्मों और गानों से सीमित नहीं है। हमारे पास हमारी संस्कृति, इतिहास और हमारे पूर्वजों की धरोहर को मनोरंजन के माध्यम से जीने की कई रास्ते हैं।
किसानी और शहरीकरण: दो प्रमुख लम्बे मार्ग
जब भी मैं अपने जीवन के बारे में सोचता हूँ, तो मेरे दिमाग में एक पुरानी कहानी आती है, जो मेरे दादाजी ने मुझे बताई थी। यह किसानी और शहरीकरण के बारे में थी, दोनों ही जो भारतीय जीवनशैली के अभिन्न घटक हैं।
पर्यावरण और स्वच्छता: आत्मनिर्भर भारत की कुंजी
आजकल, जब मैं अपने घर का बाहर का दृश्य देखता हूं, मुझे पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता की आवश्यकता का एहसास होता है। यह ऐसा नहीं है कि हमें इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती, बल्कि हमें अब इसे अधिक से अधिक अपनाने की जरूरत है।
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