लक्जरी गुड्स टैक्स – सरल समझ में

आपने "लक्जरी गुड्स टैक्स" शब्द सुना होगा, लेकिन इसका मतलब वास्तव में क्या है? आसान शब्दों में कहें तो यह वह कर है जो महँगे, विशेष या स्टाइलिश वस्तुओं पर लगता है। सरकार इसका उद्देश्य है अमीर लोग जो महंगे सामान खरीदते हैं, उनसे कुछ हिस्सा लेकर सार्वजनिक खर्चों में मदद लेना।

कब लगता है यह टैक्स?

भारत में लक्जरी गुड्स टैक्स तब लगता है जब आप ऐसी चीज़ें खरीदते हैं जिनकी कीमत निश्चित सीमा से ऊपर होती है। उदाहरण के लिए, अगर आप 7 लाख रुपये से महँगी कार, भारी आभूषण या प्रीमियम इलेक्ट्रॉनिक चीज़ें ले रहे हैं, तो उस पर अतिरिक्त कर लग सकता है। यह सीमा हर साल सरकार तय करती है, इसलिए कभी‑कभी इसे अपडेट भी किया जाता है।

कैसे प्रभावित करता है आपका बजट?

अगर आप लक्जरी चीज़ों में निवेश करने वाले हैं, तो इस टैक्स को ध्यान में रखकर खर्च करना जरूरी है। मान लीजिए आप 10 लाख की कार खरीदते हैं और टैक्स 12% है, तो अंतिम बिल में 1,20,000 रुपये अतिरिक्त जोड़ेंगे। यही कारण है कि कई लोग पहले से प्लानिंग करते हैं, ताकि अचानक बड़े खर्चे से बच सकें।

एक और बात खास है – कुछ लक्जरी आइटम जैसे फैशन ब्रांड्स, लक्जरी घड़ियां या एक्सक्लूसिव हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में भी ये टैक्स लागू हो सकता है। इसलिए खरीदारी से पहले यह देखना फायदेमंद है कि क्या आपका चुना हुआ प्रॉडक्ट टैक्स वाले लिस्ट में है या नहीं।

इसे बचने का आसान तरीका नहीं है, लेकिन आप वैकल्पिक विकल्प देख सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप प्रीमियम कार नहीं चाहते तो थोड़ा कम कीमत वाला मॉडल चुन सकते हैं, या फिर सेकंड‑हैंड मार्केट से खरीद सकते हैं जहाँ टैक्स कम या नहीं भी हो सकता।

ध्यान रखें, टैक्स से बचना अवैध है और दंड लग सकता है। हमेशा रसीद और इनवॉइस रखें, ताकि बाद में कोई समस्या न हो। अगर किसी चीज़ पर टैक्स लगना चाहिए था और नहीं लगा, तो रिवैज़न दावा करने की भी संभावना रहती है।

संक्षेप में, लक्जरी गुड्स टैक्स एक ऐसा नियम है जो महँगी वस्तुओं पर अतिरिक्त कर लगाता है। इसका दिमाग में रखना जरूरी है, खासकर जब आप बड़ी खरीदारी की सोच रहे हों। सही जानकारी और प्लानिंग से आप अपने खर्चों को नियंत्रण में रख सकते हैं और अनचाहे झटके से बच सकते हैं।

GST दर सूची 2025: आम जरूरतों पर बड़ी राहत, लक्जरी और ‘सिन’ गुड्स पर 40% टैक्स

22 सितंबर 2025 (नवरात्रि के पहले दिन) से GST का बड़ा रीसेट लागू होगा। दो-स्लैब ढांचा (5% और 18%) आएगा, 12% और 28% खत्म होंगे और लक्जरी/‘सिन’ गुड्स पर 40% का नया स्लैब लगेगा। कई रोज़मर्रा के सामान सस्ते होंगे, जबकि तंबाकू श्रेणी के कुछ उत्पादों पर नई दरें बाद में लागू होंगी। सरकार 400 से ज्यादा आइटम के दाम पर नजर रखेगी।

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