मूल्य सीमा: समझें इसका मतलब और 2025 में कैसे बदल रही है
आप जब सुपरमार्केट में किसी चीज़ की कीमत देखते हैं, तो वह सिर्फ मार्केट रेट नहीं होती। सरकार ने उस पर टैक्स लगा कर अंतिम कीमत तय की होती है। इस टैक्स का भाग या तो दर (जैसे 5%, 12%) या फिर मूल्य सीमा के रूप में आता है। सरल शब्दों में, मूल्य सीमा वो सीमा है जहाँ तक सरकार किसी वस्तु पर कर का बोझ ले सकती है या कमी कर सकती है। इस टैक्स की वजह से एक ही प्रोडक्ट की कीमत अलग-अलग राज्यों या समय के साथ बदल सकती है।
मूल्य सीमा का मतलब क्या है?
मूल्य सीमा दो चीज़ों को दर्शा सकती है – पहला, एक प्रोडक्ट की अधिकतम कीमत जिस पर सरकार टैक्स लगाती है, और दूसरा, वह न्यूनतम कीमत जिससे टैक्स शुरू होती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी वस्तु की मूल्य सीमा 1000 रुपये रखी गई है, तो 1000 रुपये से नीचे के प्रोडक्ट पर खास टैक्स नहीं लगेगा, पर 1000 से ऊपर जाने पर टैक्स की दर लागू होगी। इस तरह सरकार महंगे चीज़ों पर अधिक टैक्स लेती है और सस्ते सामान को सुलभ रखती है।
2025 की GST मूल्य सीमा में प्रमुख बदलाव
22 सितंबर 2025 से GST में बड़ा रीसेट आया है। अब दो स्लैब – 5% और 18% – लागू होंगे, जबकि 12% और 28% वाले स्लैब हटाए गए। सबसे बड़ी बात यह है कि लक्जरी या ‘सिन’ (सिगरेट, इत्यादि) गुड्स पर 40% का नया स्लैब जुड़ गया है। इसका मतलब है कि महंगे दिखने वाले इलेक्ट्रॉनिक या फैशन आइटम पर पहले की तुलना में कम टैक्स होगा, जबकि तंबाकू जैसी चीज़ों पर टैक्स बहुत बढ़ेगा। रोज़मर्रा की आवश्यकताओं जैसे चावल, दाल, तेल आदि पर 5% की कम दर से कीमतें स्थिर रहेंगे, जिससे आम आदमी को फायदा होगा।
एक ठोस उदाहरण लें – अगर पहले टूथपेस्ट की कीमत 120 रुपये थी और उस पर 18% GST लगता था, तो नई व्यवस्था में वही टूथपेस्ट 5% GST के साथ आएगा। इससे अंतिम कीमत लगभग 6 रुपये कम हो जाएगी। दूसरी ओर, अगर आप लक्जरी कार खरीदते हैं, तो अब 40% टैक्स लगेगा, जिसका असर कीमत में काफी बढ़ोतरी करेगा। इस प्रकार मूल्य सीमा का सही इस्तेमाल करके सरकार आर्थिक संतुलन बनाये रखने की कोशिश करती है।
इन बदलावों से छोटे व्यापारियों को भी सीधे असर पड़ेगा। जब इनपुट कॉस्ट (जैसे कच्चा माल) पर टैक्स कम हो जाता है, तो उनका उत्पादन लागत घटता है और वे खुद को कम कीमत पर बेचना शुरू कर सकते हैं। हालांकि, अगर आप कोई लक्जरी प्रोडक्ट बेचते हैं, तो नई उच्च टैक्स स्लैब आपके मार्जिन को घटा देगा, इसलिए आपको प्राइस स्ट्रैटेजी को फिर से देखना पड़ेगा। इसलिये हर व्यापारी को नई मूल्य सीमा को समझकर अपने प्राइसिंग मॉडल को एडेप्ट करना चाहिए।
संक्षेप में, मूल्य सीमा सिर्फ टैक्स का एक हिस्सा नहीं, बल्कि सरकार का एक आर्थिक उपकरण है जो कीमतों को नियंत्रित करता है, आम जनता को राहत देता है और लक्जरी वस्तुओं पर अतिरिक्त राजस्व जुटाता है। 2025 की नई GST संरचना इस बात को और स्पष्ट करती है कि कैसे मूल्य सीमा के माध्यम से सरकार विभिन्न वर्गों के लिए संतुलन बनाये रखती है। अब जब आप अगली बार किसी प्रोडक्ट की कीमत देखेंगे, तो आप जानेंगे कि वह मूल्य सीमा और टैक्स की वजह से क्यों वैसी है।