November 04, 2012

राजस्थान में 70 % परिवारो को साफ पानी नही, 33 %को बिजली नही. जनगणना विभाग

By admin - Fri Jul 27, 2:45 pm

जयपुर, 27 जुलाई, 2012 राजस्थान में परिसर के अंदर पेयजल की उपलब्धता 35.0 प्रतिशत परिवारों के पास उपलब्ध है, जबकि भारत का औसत 46.6 प्रतिशत है । वहीं परिसर के निकट पेयजल की उपलब्धता राजस्थान के 39.0 प्रतिशत परिवारों के पास है, जबकि भारत का औसत 35.8 प्रतिशत हैं । राजस्थान के 25.9 प्रतिशत परिवार अब भी दूर से पेयजल ला रहे हैं जबकि भारत का औसत 17.6 प्रतिशत है । राजस्थान में 40.6 प्रतिशत परिवारों को नल का पानी उपलब्ध हैं, जबकि भारत का औसत 43.5 प्रतिशत है । कुओं से 10.8 प्रतिशत परिवारों को पेयजल उपलब्ध हो रहा हैं, जबकि भारत का औसत 11 प्रतिशत है । इसी प्रकार राजस्थान में 25.3 प्रतिशत परिवारों को हैण्डपम्प से पेयजल उपलब्ध हो रहा है, जबकि देश का औसत 33.5 प्रतिशत है । आर.आर. मीना, संयुक्त निदेशक, जनगणना कार्य निदेशालय, राजस्थान द्वारा जारी जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में शौचालय की सुविधा 35 प्रतिशत परिवारों को ही परिसर में उपलब्ध है, जबकि देश का औसत 46.9 प्रतिशत है । राजस्थान में 10.7 प्रतिशत ढकी हुई नालियां हैं, जबकि भारत का औसत 18.1 प्रतिशत है । इसी प्रकार राजस्थान में 30.8 प्रतिशत खुली नालियां हैं, जबकि भारत का औसत 33 प्रतिशत है । राजस्थान में 58.5 प्रतिशत गंदे पानी की निकासी किसी भी प्रणाली से जुड़ी हुई नहीं है, जबकि भारत का औसत 48.9 प्रतिशत है ।

29 प्रतिशत परिवारों को ही प्रदेश में स्वच्छ नल का पानी उपलब्ध

डा0 अल्पना कटेजा, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय ने कहा कि स्वच्छ पानी तथा स्वच्छता मूलभूत आवश्यकता है और इससे कई सारे विकास के बिन्दु जुड़े हैं । उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मातृ मृत्यु दर तथा शिशु मृत्यु दर जैसी समस्याओं का संबंध भी स्वच्छ पानी से जुड़ा है । उन्होंने बताया कि जनगणना 2011 के अनुसार औसतन कुल 29 प्रतिशत परिवारों को ही प्रदेश में स्वच्छ नल का पानी उपलब्ध है, जबकि 2001 में औसत 32.62 था । इसमें 2011 के आंकड़ों के अनुसार 17.71 प्रतिशत परिवार ग्रामीण क्षेत्रों तथा 70.08 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों के परिवारों को नल का शुद्ध पेयजल उपलब्ध है । उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के 27.68 परिवार तथा जनजाति के 19.97 परिवारों को नल का शुद्ध जल उपलब्ध है, जबकि 2001 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित जाति 29.79 तथा 21.97 अनुसूचित जनजाति के परिवारों के पास नल का शुद्ध जल उपलब्ध था । उन्होंने बताया कि जिलों के अनुसार धौलपुर, बांसवाड़ा तथा प्रतापगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता काफी कम है तथा हनुमानगढ़ में सबसे अधिक है । नल के शुद्ध पानी की उपलब्धता में हनुमानगढ़ प्रथम स्थान पर है तथा बांसवाड़ा सबसे निचले स्थान पर है ।

प्रकाश का स्रोत-67 प्रतिशत परिवारों द्वारा बिजली का उपयोग

मीना ने बताया कि प्रकाश के मुख्य स्रोत के रूप में राजस्थान में 67 प्रतिशत परिवार बिजली का उपयोग कर रहे है । राज्य अधिकतम प्रयोगकर्ता के आधार पर देश में 27 वें स्थान पर है, जबकि भारत का औसत 67.3 प्रतिशत है । इसी प्रकार मिट्टी के तेल को प्रकाश के स्रोत के रूप में राजस्थान में 30.9 प्रतिशत परिवार उपयोग कर रहे है अधिकतम प्रयोगकर्ता के रूप में देश में 9वें स्थान पर है, जबकि भारत में 31.4 प्रतिशत परिवार इसका उपयोग कर रहे हैं । अब भी राजस्थान में 0.8 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जिनके पास प्रकाश का कोई स्रोत नहीं है ।

खाना पकाने के लिए 61.8 प्रतिशत परिवार जलाऊ लकड़ी पर निर्भर

श्री मीना ने बताया कि खाना पकाने के ईंधन के रूप में जलाऊ लकड़ी 61.8 प्रतिशत परिवार इस्तेमाल कर रहे हैं। राज्य अधिकतम प्रयोगकर्ता के आधार पर देश में 11वें स्थान पर है, जबकि भारत का औसत 49 प्रतिशत है । फसल के अवशेष केा खाना पकाने में ईंधन की तरह इस्तेमाल राज्य में 11 प्रतिशत परिवार कर रहे हैं तथा अधिकतम प्रयोगकर्ता के आधार पर देश में चौथे स्थान पर है,।जबकि भारत का औसत 8.9 प्रतिशत है । उन्होंने बताया कि देश के 28.6 प्रतिशत के मुकाबले राजस्थान में 22.8 प्रतिशत परिवार खाना पकाने में एलपीजी का इस्तेमाल कर रहे है तथा अधिकतम प्रयोगकर्ता के आधार पर राजस्थान का 23 वां स्थान है । राजस्थान में मिट्टी के तेल का प्रयोग 0.9 प्रतिशत परिवार खाना बनाने में इस्तेमाल करते हैं, जबकि भारत का औसत 2.9 प्रतिशत है ।

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सबंधी आंकड़े

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित आंकड़ों की जानकारी देते हुए सहायक निदेशक,  अविनाश शर्मा ने बताया कि जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान में 2318235, अनुसूचित जाति तथा 1836014 अनुसूचित जनजाति परिवार हैं, जबकि वर्ष 2001 की जनगणना में अनुसूचित जाति के 1765481 तथा अनुसूचित जनजाति के 1291232 परिवार थे। इसी प्रकार जनगणना 2011 के अनुसार 18.4 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 14.6 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति परिवारों का अनुपात है । जनगणना 2001 के अनुसार अनुसूचित जाति 18.9 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति के 13.8 प्रतिशत परिवारों का अनुपात था । 2001 की तुलना में अनुसूचित जाति के परिवारों के कुल परिवारों से अनुपात में गिरावट आई है । शर्मा ने बताया अनुसूचित जनजाति के 92.8 प्रतिशत परिवार अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे हैं तथा 7.2 प्रतिशत परिवार ही नगरीय क्षेत्रों में निवास कर रहे हैं । उन्होने बताया कि अनुसूचित जाति के 78.3 प्रतिशत परिवार ग्रामीण क्षेत्रों तथा 21.7 प्रतिशत परिवार नगरीय क्षेत्रों में रह रहे हैं ।

अनुसूचित जनजाति द्वारा छत के लिए घास फूंस का प्रयोग बढ़ा

शर्मा ने बताया कि राज्य में छत के लिये घास फूंस की सामग्री का प्रयोग घटा है, किन्तु अनुसूचित जनजाति के द्वारा इसका प्रयोग बढ़ा है । उन्होंने बताया कि अनुसूचित जनजाति द्वारा जनगणना 2001 के अनुसार 11.8 प्रतिशत परिवार घास फंूस की छत का उपयोग कर रहे थे । वहीं 2011 के अनुसार 16 प्रतिशत परिवार घास फंूस की छत का उपयोग कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार अनुसूचति जाति के 20.6 प्रतिशत परिवारों द्वारा घास फंूस की छत मकानों में प्रयोग ली जा रही है । उन्होंने बताया कि नगरीय क्षेत्र में 2001 की तुलना में पत्थर का प्रयोग छत के रूप में घटा है किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा है । उन्होंने बताया कि जनगणना 2001 के अनुसार अनुसूचित जाति 42.8 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति 21.5 प्रतिशत तथा अन्य 53.7 प्रतिशत परिवार पत्थर की छत का उपयोग कर रहे थे । जबकि जनगणना 2011 के अनुसार अनुसूचित जाति 49.4 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के 24.5 तथा अन्य 56.7 परिवार पत्थर की छत का उपयोग कर रहे हैं ।

अच्छे मकान में रहने वाले परिवारों के प्रतिशत में गिरावट

उन्होंने बताया कि राज्य के अधिकांश परिवार अच्छे या रहने योग्य मकानों में निवास कर रहे हैं, किन्तु अच्छे या रहने योग्य मकानों में रहने वाले परिवार के प्रतिशत में गिरावट आई है । यह गिरावट अनुसूचित जनजाति में सर्वाधिक है । जनगणना 2001 के अनुसार 96.1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति व 95 प्रतिशत परिवार अनुसूचित जाति के परिवार के रहने योग्य मकानों में निवास कर रहे थे, जबकि जनगणना 2011 के अनुसार 93.6 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति तथा 94.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति के परिवार रहने योग्य मकानों में निवास कर रहे हैं । श्री शर्मा ने बताया कि जनगणना 2011 के अनुसार अनुसूचित जाति 94 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति के 96.7 प्रतिशत परिवार अपने स्वयं के मकान में रह रहे हैं ।

ग्रामीण क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के 7.1 प्रतिशत परिवारों को परिसर में पीने का पानी उपलब्ध

शर्मा ने बताया कि जनगणना 2011 के अनुसार 29.1 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 11 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति परिवारों को पीने का पानी अपने ही परिसर में उपलब्ध है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के 7.1 प्रतिशत परिवारों को परिसर में पीने का पानी उपलब्ध है । इसी प्रकार 42.1 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 47.5 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति परिवारों को पीने का पानी परिसर के पास उपलब्ध है । उन्होंने बताया कि 42.3 प्रतिशत नल का पानी अनुसूचित जाति तथा 11.2 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के परिवारों को नल का पानी पीने के लिए उपलब्ध है । इसी प्रकार अपने ही परिसर में नल का पानी अनुसूचित जाति के 25.5 परिवारों को तथा अनुसूचित जनजाति के 6.4 प्रतिशत परिवारों को सुविधा उपलब्ध है । उन्होंने बताया कि जनगणना 2011 के अनुसार 60.2 प्रतिशत परिवार अनुसूचित जाति तथा 39.7 अनुसूचित जनजाति के परिवारों को बिजली उपलब्ध है । उन्होंने बताया कि 27.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 7.9 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति परिवारों के पास शौचालय की सुविधा उपलब्ध है । इसी प्रकार 49.9 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 18.7 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के परिवारों के पास परिसर में स्नानगृह उपलब्ध है ।

12.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 4.8 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के परिवारों के पास एलपीजी की सुविधा उपलब्ध

उन्होंने बताया कि जनगणना 2011 के अनुसार 12.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 4.8 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के परिवारों के पास रसोईघर में एलपीजी उपलब्ध है । इसी प्रकार 28.6 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 14 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के परिवारों के पास टेलीविजन उपलब्ध हैं । उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के पास 62 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति के पास 42.2 प्रतिशत परिवारों के पास टेलीफोन की सुविधा उपलब्ध है । श्री शर्मा ने बताया कि 3.9 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 3.5 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के परिवारों के पास कंप्यूटर की सुविधा बगैर इंटरनेट के उपलब्ध है ।

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