May 20, 2013

शारदा चिट फंड 20 हजार करोड़ के घोटाले में मददगार कौन कौन ?

By admin - Thu Apr 25, 10:49 am

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) समूह की कम से कम दस कंपनियों की पड़ताल कर रहा है। सेबी ने  एक आदेश जारी कर इन कंपनियों में सेन और शारदा समूह के आला अधिकारियों की भूमिका व कामकाज की बारीकी से जांच की जा रही है।आदेश में शारदा रीयल्टी इंडिया और उसके प्रबंध निदेशक सुदीप्त सेन के सिक्यूरिटी बाजार में कामकाज पर तब तक के लिए रोक लगा दी है, जबतक कि लोगों से धन जमा करने के मामले का निपटारा नहीं हो जाता और निवेशकों को उनका पैसा लौटा नहीं दिया जाता।

शारदा समूह की शुरुआती जांच में अब तक विभिन्न बैंकों में समूह के 60 खातों का पता चला है लेकिन उनमें बेहद मामूली रकम है। समूह के दफ्तरों में तलाशी के दौरान निवेशकों से जुटाई गई रकम का पूरा ब्योरा नहीं मिला है।

34 गुना का लालच दे लूटे 20 हजार करोड़

पश्चिम बंगाल की चिटफंड कंपनी शारदा ग्रुप ने 10 लाख लोगों को पहले सुनहरे सपने दिखाए और फिर लूट ली गाढ़ी कमाई ,जब रकम लौटाने की बारी आई तो 20,000 करोड़ रुपये लेकर दफ्तरों पर ताला लगा दिया।सागौन से जुड़े बॉन्ड्स में निवेश से 25 साल में रकम 34 गुना करने का ऑफर दिया।वहीं आलू के कारोबार में निवेश के जरिए 15 महीने में रकम दोगुना करने का सब्जबाग दिखाया।

कोलकाता का शारदा समूह रीयल इस्टेट, पर्यटन और मीडिया के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय था। अब तक की जांच से इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि इस समूह के नाम छोटी-बड़ी 56 कंपनियां पंजीकृत थीं। वर्ष 2010 में जब मीडिया के क्षेत्र में भारी मंदी का दौर चल रहा था, तब शारदा समूह ने एक साथ अंग्रेजी, बांग्ला, हिंदी और उर्दू के अखबार और बांग्ला टीवी चैनल शुरू किए थे। मीडिया में जबरदस्त तरीके से कदम रखने के बाद ही पहली बार इस समूह का नाम सुर्खियों में आया था। उन अखबारों में पत्रकारों को भारी-भरकम पैकेज पर रखा गया था।

शारदा चिट फंड कंपनी ने 10 लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूटकर अपने अधिकारियों को मालामाल कर दिया। इनमें से एक तो ऐसी अधिकारी हैं जिन्होंने ‌बतौर रिसेप्शनिस्ट कंपनी में ज्वाइन किया और बाद में डायरेक्टर बन गई।20 हजार करोड़ रुपये लेकर फरार होने वाली शारदा ग्रुप की निदेशक देबजनी मुखोपाध्याय ने साल 2008 में शारदा ग्रुप में बतौर रिसेप्शनिस्ट और टेलीफोन ऑपरेटर ज्वाइन किया था।

अपनों से ज्यादा देबजनी पर यकीन

उनके इर्द-गर्द रहने वाली छह महिलाओं की टीम को इन मामलों की जानकारी होती थी। सुदीप्तो के अलावा समूह की कार्यकारी निदेशक देबजनी मुखर्जी को ही इस बात की पुख्ता जानकारी रहती थी कि बाजार से कितनी रकम उगाही जा रही है।सात महीने ही बाद ही देबजनी, सुदीप्तो के ऑफिस से अटैच कर दी गई। पांच साल में ऊंची छलांग लगाते हुए वह कंपनी के चेयरमैन सुदीप्तो सेन की सबसे ज्यादा विश्वासपात्र बन गई 20 लाख से ज्यादा के चेक और ज्वाइनिंग लेटर पर दस्तखत करने का अधिकार केवल देबजनी को ही था। देखते-देखते तीन साल में ही उसे कंपनी का निदेशक बना दिया गया।

‘टीएमसी कर रही थी हमें ब्लैकमेल’
इधर शारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्तो सेन ने अपनी गिरफ्तारी के बाद सीबीआई को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए।

सुदीप्तो ने पत्र में लिखा कि उन्हें टीएमसी के कई बड़े नेता ब्लैकमेल कर पैसे मांग रहे थे। साथ ही कहा कि ये नेता दबाव बना कर उनसे ऐसी जगह पैसे लगवा रहे थे जहां कंपनी को घाटा हो रहा था। इसी कारण उनकी कंपनी दिवालिया हो गई।

पत्र में बहुतों को लपेटा
सुदीप्तो सेन ने अपनी चिट्ठी में कथित रूप से तृणमूल कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसदों और असम के एक मंत्री से रिश्ते होने की बात कही है। सेन का असम में भी चिट फंड का कारोबार है। पत्र में 22 लोगों के नाम हैं जिन्होंने पैसा बनाने के लिए सेन का इस्तेमाल किया। इनमें एक दर्जन व्यापारियों के अलावा करीब पांच वरिष्ठ राजनीतिज्ञों के भी नाम हैं जो बंगाल में अपना चिट फंड बिजनेस चला रहे थे।

पत्र में बताया गया कि कैसे एक बिजनेस लॉबी ने सेन पर सिंगूर के पास पोलबा में घाटे में चल रही एक मोटरबाइक बनाने वाली कंपनी खरीदने के लिए दबाव डाला।

कंपनी के चेयरमैन सुदीप्तो सेन द्वारा कथित रूप से सीबीआई को लिखे पत्र में दो तृणमूल कांग्रेस विधायकों, कुणाल घोष और सृंजय बोस का नाम भी लिया गया है। इन पर उन्होंने ब्लैकमेल करने के आरोप लगाए हैं।

टीएमसी ने आरोप को नकारा
इस बीच टीएमसी ने सुदीप्तो के आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया। पार्टी सांसद श्रिनजॉय बोस ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनकी कंपनी के शारदा ग्रुप के टीवी चैनल के साथ महज ‘प्रोफेशनल’ संबध थे। वहीं एक बंगाली दैनिक ‘प्रतिदिन’ के मालिक श्रिनजॉय ने कहा कि बंगाल के सारे मीडिया चैनल चिटफंड के पैसे से ही संचालित किए जा रहे हैं।

500 करोड़ का राहत कोष
विवाद से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तत्काल 500 करोड़ रुपये का राहत कोष बनाने की घोषणा कर दी है, जो समूह द्वारा ‘ठगे गए’ लोगों की रकम लौटाने के काम आएगा। साथ ही ममता को कहना पड़ा है कि यदि उनके नेताओं ने अपराध किया है तो कानून के तहत कदम उठाए जाएंगे।

केंद्र ने झाड़ा पल्ला
केंद्र ने शारदा समूह की चिटफंड कंपनियों के अस्तित्व को लेकर अपने को पाक-साफ बताया गया है। उसने कहा है कि ऐसे व्यवसाय को उसका कोई प्रश्रय या उससे संबंध नहीं है।

चिट फंड कंपनियों को राज्य सरकारें ही रेगुलेट करती हैं। दिल्ली में कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा देश में ऐसी कंपनियां चिट फंड एक्ट, 1982 के तहत चलती हैं। लेकिन नियमानुसार चिटफंड बिजनेस केवल राज्य सरकारों के अंतर्गत ही पंजीकृत और नियमित होता है।

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