सरकार की अक्ल का ताला खुला,जेडीए ने राजमहल होटल दरवाजे की सील खोली

जयपुर आखिरकार सरकार की अक्ल का ताला खुल  ही गया। अचानक जयपुर राजपरिवार की सम्पित राजमहल होटल  के मुख्य द्दार की सील खोल दी गई । सरकार की अक्ल  का ताला जेडीए ने सुबह 9 बजे खोला , लेकिन इससे पहले मुख्यमंत्री वसुँधरा राजे  उदयपुर के लिए रवाना हुई और दोपहर को लौट आई । इस घटनाक्रम से एक दिन पहले पूर्व राजमाता पद्मिनी देवी ने सीएम राजे से मुलाकात की , विवाद पर बनी मत्रियों की कमेटी को अक्ल आई और फिर कही तब कही जाकर सरकार की अक्ल  का ताला खुला , राजमाता पद्मिनी देवी  ने एक दिन पहले सीएम से मुलाकात के बाद में साफ सकेंत दे दिए, राजमाता के शब्द  ‘सरकार भी अपनी है,सीएम भी अपनी हैं क्यों नहीं सुनेंगी बात राजनीतिक गलियारों में अनुमान लगाने को संकेतभर है लेकिन है गहरे।

राजमहल होटल मामले पर मुख्यमंत्री का मौन रहस्यमय 

राजमहल होटल मामले पर मुख्यमंत्री का मौन राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। सरकार के इशारे पर जेडीए ने राजमहल मुख्य दरवाजे की सील खोल दी लेकिन इससे पूर्व मुख्यमंत्री वसुँधरा राजे उदयपुर के लिए रवाना हो गई। इससे पहले सरकार के 5 सदस्यीय मंत्रियों की कमेटी ने होटल का मुख्य द्दार खोले जाने पर रिपोर्ट रात को ही भेज दी । जेडीए व सरकार केी अक्ल का ताला   खुलने के पीछे समय का महत्तवूर्ण रोल हैं। यह निर्णय ऐसे वक्त में लिया हैं जब उदयपुर में संंघ प्रमख मोहन भागवत सात दिनों के प्रवास पर आए हैं। इसी समय जयपुर में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह की समाधि पर राजपूत समाज सरकार को सद्बुद्धि यज्ञ  देने जैसे आयोजन करने की तैयारी में था और यही राजपूत समाज का जयपुर बंद ऐलान की रणनीति पर निर्णय होना था। इससे पहले भी 24 अगस्त जब जयपुर विकास प्राधिकरण के अफसरों ने राजपरिवार को कानून का पाठ पढाया उस वक्त भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भूटान की यात्रा पर थी। घटनाक्रम के बाद जयपुर राजपरिवार की राजकुमारी और भाजपा विधायक दीया कुमारी की मुलाकात मुख्यमंत्री को बायपास कर सीधे केन्द्र स्तर पर गृंहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात चर्चा का विषय रहा । उधर केन्द्र सरकार के अचानक सक्रिय होने ओर पार्टी संगठन और सरकार से मध्यस्ता करने के लिए संघ के प्रतिनिधि को भेजे जाने जैसे एपिसोड भी हुए।

राजपरिवार को राज्यभर से समर्थन

24 अगस्त को जैसे ही जयपुर विकास प्राधिकरण ने होटल के गेट क्या सीज किए, राजस्थान की राजनीति में नया बवाल खड़ा हो गया। मीडिया में आई राजकुमारी की जेडीए अफसरों से तू तू मै मै  को राजपरिवार के साथ साथ राजपूत समाज ने भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। इस घटना से ना केवल राजस्थान के राजपरिवार एकजूट हुए बल्कि खुलकर साथ भी आए। इधर आमोखास ने 2 सितम्बर को जयपुर में भारी जनसमर्थन के प्रभावी प्रदर्शन से आईबी और सीआईडी ने गम्भीर माना। राजमहल मामले से क्षत्राणियों के सर्घष को राजमाता पद्मिनी देवी , राजकुमारी दीया कुमार और जयपुर राजघराने के नए सितारे पदनाभ को देशभर में चर्चित किया।

केवल मुख्य द्दार अस्थाई तौर पर खोला

जयपुर विकास प्राधिकरण ने 24 अगस्त को राजमहल होटल की 12 बीघा जमीन और 4 गेट सीज किये थे।  लेकिन क्योकि राजमहल होटल राजपरिवार की सम्पति है और होटल का रास्ता मुख्य के अलावा अन्य नही है, ऐसे में जयपुर विकास प्राधिकरण के अफसरो के पास ना कोर्ट में और ना की कागजी कोई जबाव था कि सम्पति में आने जाने का आम रास्ता क्यों रोका गया। ऐसे में सरकार ने दबाव में आकर केवल मुख्य द्दार खोलने का निर्णय लिया। लेकिन अभी भी 3 गेट और होटल की 12 बीघा जमीन पर जेडीए का कब्जा और सील हैं।

पांच मंत्रियों की कमेटी ने रातोरात किया सील खोलने का फैसला

राजमहल होटल  के मुख्य द्दारा की सील अस्थाई तौर पर खोले जाने का निर्णय पांच सदस्यीय मंत्रियों के समूह ने किया इस समूह में यूडीएच मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र राठौ़ड़ और उद्धोग मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर , प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी शामिल थे। राजपरिवार के विरोध और सर्वसमाज की 2 सितम्बर की रैली के बाद सरकार दबाव में थी। लेकिन यूडीएच मंत्री राजपाल सिंह शेखावत को जेडीए के पक्ष में बयाबाजी और मुख्य दरवाजे सील नही खोलने के निर्णय को दोहराने से राज्यभर के राजपूत संगठन और आमोखास एकजूट होने लगा था। इसकी रिपोर्ट आईबी ने ना केवल राज्य सरकार को दी बल्कि केन्द्र स्तर पर भी भेजी

देवेन्द्र सिंह तंवर

 

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *