स्क्रैमजेट इंजन की यह खासियत हर भारतीय को जाननी जरुरी

स्क्रैमजेट इंजन पांच मिनट में ही टेस्ट कामयाब रहा आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC) से लॉन्च किया गया। साइंटिस्ट्स का कहना है कि रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) में हाईपरसोनिक स्पीड (साउंड की स्पीड से तेज) पर इस इंजन का यूज किया जाएगा। इस टेस्ट के साथ ही भारत ने अमेरिका के नासा की बराबरी कर ली है और जापान-चीन-रूस को पीछे छोड़ दिया है।

स्क्रैमजेट इंजन के जरिए इसरो ने की नासा की बराबरी

ऑक्सीडाइजर यानी ऑक्सीजन को फ्यूल में बदलने वाला सिस्टम की तकनिक अभी तक सिर्फ अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान नासा के पास ही हैं भारत यह तकनिक हासिल करने वाला दूसरा देश बन गया है। इस तकनिक के बाद भारत ने ना केवल चीन को पीछे छोड़ा है बल्कि जापान और रूस को भी पीछे छोड़  दिया हैं। अमेरिका ने इस तकनिक से 2004 में पहला परीक्षण किया था जबकि रविवार को भारतीय वैज्ञानिको ने उन्नत परिक्षण किया हैं।

हवा में सांस लेकर ऑक्सीजन ले सकता हैं

स्कैमजेट ने उपरी सीमा तक पहुंच 5 सेकंड तक एटमॉस्फियर से ऑक्सीजन ली और मकसद में कामयाब हुआ। टेस्ट रविवार को सुबह 6 बजे किया गया। रॉकेट को जमीन से 20 किलोमीटर ऊपर भेजा गया। वहां इंजन ने लिक्विड हाइड्रोजन फ्यूल को जलाने के लिए 5 सेकंड तक एटमॉस्फियर से ऑक्सीजन ली। इसके बाद वह बंगाल की खाड़ी में गिर गया।

वजन में हल्का है स्क्रैमजेट इंजन

स्क्रैमजेट इंजन रॉकेट में यूज किए जाने वाले बाकी इंजनों के मुकाबले हल्का है। इसके यूज से रॉकेट का वजन आधा हो जाएगा। हल्का होने से स्पेस में भारी पैलोड ले जाने में मदद मिलेगी। इस इंजन के यूज से लॉन्चिंग का खर्च कम हो जाएगा।सामान्य इंजन में फ्यूल और ऑक्सीडाइजर (ऑक्सीजन को फ्यूल में बदलने वाला सिस्टम) के दो चैंबर होते हैं। लेकिन स्क्रैमजेट में ऑक्सीडाइजर वाला चैम्बर नहीं होगा।
रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) और हाईपरसोनिक स्पी़ड है खासियत
स्क्रैमजेट की खासियत यह है कि यह एक तो रीयूजेबल लॉच व्हीकल है और उपर से सबसे तेज हाईपरसोनिक स्पीड  इस इंजन का यूज किया गया हैं। यानी भारत अब उन्नत तकनिक के अगली पीढी की तकनिकी में महारत हासिल करने की कतार में हैं।

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