बचपन में ही रोप रहे उन्नत कृषि के बीज – नन्हे-मुन्नों को ले कर आ रहे अभिभावक

बचपन में ही रोप रहे उन्नत कृषि के बीज

जयपुर: ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट-ग्राम कोटा 2017 का उत्साह हाडौती अंचल में इस कदर छाया है कि विभिन्न स्थानों से आर रहे किसान व अन्य लोग बालकों को भी यहां लेकर आ रहे हैं ताकि अभी से उन्हें नई तकनीकों, उन्नत खेती-किसानी का ज्ञान देे सकें। लू व भीषण तपन की परवाह किए बगैर ये बच्चे भी उत्साह से ग्राम कोटा की हर चीज को जिज्ञासापूर्वक निहार रहे हैं, समझने की कोशिश कर रहे हैं।

कोटा के बिनायका गांव से किसान गिरिराज ग्राम कोटा में आए तो अपने पुत्र पुलकित को भी साथ लाए। पुलकित का कहना था कि उन्हें यहां नए डिजायन के टेक्टर एवं खेती के उपकरण पसंद आए। पिता गिरिराज ने बताया कि जयपुर में आयोजित ग्राम में जाने की भी बालक ने जिद की थी, वो पूरा नहीं कर पाए तो उसेे लेकर आए हैं। स्कूल कॉलेज की छात्राएं भी यहां फिश एक्वेरियम, पशुओं के मॉडल, नर्सरी एवं विभिन्न नवाचारों से रूबरू हो रहे हैं एवं इनके साथ सैल्फी भी ले रहे हैं। ग्राम कोटा सभी के मन भा रहा है। महिला काश्तकार गांवों से आ रही हैं, वहीं अन्य देहात व शहरी इलाकों से भी महिलाएं यहां रुचिपूर्वक भाग ले रही हैं।

ग्राम कोटा में जाजम चौपालनन्हे-मुन्नों को ले कर आ रहे अभिभावक में भाग ले कर तथा स्मार्ट फार्म  देखकर निकली बूंदी के जखाना गांव की कृषक राममूर्ति ने ग्राम आयोजन के बारे में पूछने पर सरकार के इस कदम की सराहना की और कहा कि अस्यां तो पहली बार देेख्यां छ। उनकेे साथ आई मनभर, भूलीबाई और रूपाबाई ने बताया कि उन्होंने यहां वर्मी कम्पोस्ट के फायदे जाने और वे इसका इस्तेमाल शुरू करेंगी। कोटा के रामगंजमंडी की मंजू रानी ने कहा कि किसानों के लिए इतना बडा आयोजन करना इस बात का प्रमाण है कि सरकार को किसानों की फिक्र है। झालावाड के नागोनिया गांव से आई अनीता एवं जसोदा ग्राम में हर जगह घूमीं और कहा कि यहां बहुत कुछ है किसानों के लिए। यदि हम इन सब को अपनाएं तो बहुत लाभ मिल सकता है।

खेती को संवारने की चाह में उत्साह से आया दिव्यांग प्रेम ग्राम कोटा के बारे में जिज्ञासा तो काफी पहले ही जाग चुकी थी और इसमें भाग लेेने का अवसर मिला तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।  झालावाड के मनोहरथाना निवासी दिव्यांग प्रेम ने बैसाखी के सहारे ही ग्राम कोटा का भ्रमण व अवलोकन किया।  उन्हाेंने कहा कि वे दिव्यांग होने के कारण खुद कृषि कार्य नहीं कर पाते लेकिन उनके भाई खेती करते हैं, उन्हें तथा गांव वालों को वे यहां सीखी जानकारियां देंगे ताकि उनकी कृषि भी उन्नत हो सके, ज्यादा आमदनी हो सके।

प्रेम ने कहा कि नई नई किस्मों की खेती, रासायनिक खादों के नुकसान, बीमारियाें से बचाव के उपायों की जानकारी उन्हें यहां से मिली है।

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