देवेन्द्र सिंह
राजस्थान देवस्थान विभाग ने राज्य से बाहर खरबो रुपय की जमीनो की जानकारी सरकार खगालना शुरु कर दिया है। दिल्ली के जंतरमंतर,महाराष्ट्र और अन्य राज्यो में मौजूद यह चल अचल सम्पतियां मदिरमाफी की जमीने है जहा दुकाने और व्यावसायिक गतिविधियो संचालित हो रही है। मजे की बात है कि देवस्थान विभाग के पास इन सम्पतियों का रिकॉर्ड ही गायब है।
राज्य के पर्यटन और देवस्थान मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने विभाग के अधिकारियों को दो महीनों में ऐसी चल अचल सम्पतियों की सारी जानकारियां पता लगाने के आदेश दिए है। इसके साथ ही विश्वेन्द्र सिंह ने देवस्थान विभाग के अधिकारियों से सम्भागवार चल अचल सम्पतियों का ब्योरा जल्द से जल्द उपलब्ध करवाने को कहा है। भरतपुर राजघराने से ताल्लुख रखने वाले पूर्व महाराजा विश्वेन्द्र सिंह को दबंग मंत्री के रुप में माना जाता है। इसकी झलक उन्होने विभाग के मंत्री बनते ही दिखानी शुरु कर दी।
यह है चल अचल सम्पतियां जिनकी जानकारियां जुटाई जा रही है
दिल्ली जंतर-मंतर स्थित भैरू जी का मंदिर 2066 वर्गमीटर भूमि, महाराष्ट्र अमरावती में हनुमान जी मंदिर पडेगांव में छत्री राजा मान सिंह प्रथम अचलपुरा मेें ,औरंगाबाद में हनुमान जी का मंदिर के पास 1.27 एकड़ कृषि भूमि औरंगाबाद में, बेगमपुरा में विठ्ठलदास जी,कर्णपुरा में तुलजा माता का मंदिर,बाला जी का मंदिर और इस मंदिर के पास 2.24 एकड़ कृषि भूमि यही वैष्णव बाला जी, हनुमान जी का मंदिर की सम्पतियां।
देवस्थान मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने इंडिया प्राइम से बातचीत मे बताया कि राज्य से बाहर सम्पतियों में मंदिर परिसर के अलावा वहां मौजूद दुकाने और कृषि भूमि शामिल है। उन्होने कहा कि मंत्री पद सम्भलते के साथ ही विभाग के अधिकारियों की बैठक में विभाग के पास प्रदेश के बाहर स्थित मंदिरों की जानकारी के साथ सात प्रदेश के विभिन्न जिलो में मौजूद संपत्ति की वर्तमान स्थिति और रिकॉर्ड मांगा है। विभाग के अधिकारियो ने इसपर काम भी शुरु कर दिया था और जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम मिलने लगेगे। विभाग के अधिकारी अब दूसरे जिले में जाकर देवस्थान विभाग की संपत्ति का सर्वे व रिकॉर्ड खगालने में लगे है।गौरतलब है कि इतिहास में पहली बार राजस्थान सरकार अपनी जमीनों को तलाशने में लगी है।
चर्चा में रहते है पूर्व महाराज विश्वेन्द्र सिंह
इससे पहले बतौर पर्यटन मंत्री सिंह ने पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रचारित टैग लाइन दी थी जाने क्या दिख जाए को बदल दिया था। वर्तमान में बजट सत्र के दौरान विभाग के जुड़े सवालो के जवाब में मंत्री पहले ही पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के आरटीडीसी की इकाईयो को बंद करने के फैसले की वास्तविकता सदन में रख चुके है।