कंडोम का इतिहास जानकर आप, आश्चार्य में पड़ जाएगें !

इन्टरनेट डेस्क कंड़ोम के बारे में अक्सर हमने सुना देखा पढ़ा होगा। कई ऐसे भी होगें जो अक्सर कंड़ोम का इस्तेमाल भी करते होगें। लेकिन कॉडम के बारे में कई ऐसी बातें है जो शायद आपको मालूम ना हो। आपने कभी सोचा है कि इसकी शुरुआत कब कैसे और कहा हुई। इन दिनों जो कॉडम का इस्तेमाल किया जाता है इतिहास में इसकी कल्पना भी नही की जा सकती थी।

कंडोम का इतिहास

क्यो जरुरत पड़ी कंडोम इस्तेमाल की
स्त्री पूरुष के बीच सैक्स एक आम रिश्ता है जो मानव उत्पत्ति के लिए जरुरी है। इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों के अनुसार सदियों पहले कई राष्ट्रो में सैक्स को लेकर चर्चाओ का साहित्य फला फूला। ऐसे में कुछ लोग के बीच सुरक्षित सैक्स के बारे में भी की जानकारी लेने की जिज्ञासाए उत्पन्न हुई। गुगल पर मौजूद कई आर्टिकल्स मे इसका अलग अलग उल्लेख मिलता है।

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1564 में इटली के डॉक्टर Gabriel Fallopio ने सुरक्षित सेक्स को बढ़ावा देने के लिए एक ऐसा पर्दे या कपडा बनाया । उस वक़्त Gabriel Fallopio की इस खोज़ को लोगो ने गैरजरुरी और बेवकूफ़ी करार दिया।कंड़ोम के इतिहास सर्च करने पर यह जानकारी सामने आई कि 1600 सदी में सम्भवत पहली बार कंडोम के आकार पर कार्य शुरु हुआ और इसकी एक तस्वीर सामने आई जो जानवरों की खाल से बनी थी ।

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लेकिन इसकी कीमत बहुत ज़्यादा थी, सुरक्षित सैक्स के नाम पर इसका इस्तेमाल आम आदमी के बूते के बाहर की बात थी। लेकिन 1605 आते आते कैथलिक धर्म गुरूओं उनमें से एक Leonardus Lessius ने कंडोम के बारे में ऐसा बयान दे दिया जिससे लोग भ्रमित हो गए। लियोनरडर ने इसके इस्तेमाल को धर्म के खिलाफ बताया।

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इसके पीछे तर्क था कि सेक्स के बीच किसी भी रूकावट ईश्वर के खिलाफ़ मानी गई। 1839 में चार्ली गुडईयर ने रबर से बने कंडोम की खोज की। इसकी कीमत जानवर की चमड़ी से बने गर्भनिरोधक से काफी कम थी । इसका इस्तेमाल आम जनता में भी किया जाने लगा।

1919 के आते आते गर्भनिरोधक का रुप काफी सुविधाजनक हो गया और कमोवेश ऐसा है जैसा आजकल इस्तेमाल होता है। यही से आम आदमी के साथ सैक्स के लिए गर्भनिरोधक के इस्तेमाल का ट्रैड बढा ।

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1931 में अमेरिकी आर्मी के लिए गर्भनिरोधक का इस्तेमाल ज़रूरी बनाया गया। उस दौरान सैनिको को कंडोल फ्री में बांटे जाने लगे।1957 में ड्यूलेक्स नाम की कम्पनी ने दुनिया का पहला चिकनाई युक्त गर्भनिरोधक बाजार में उतारा।

1979 के आते आते विकसित देशों में कंडोम का इस्तेमाल काफी बढ गया और इसी दौरान अमेरिका में कंडोम के विज्ञापन पर रोक को हटा दिया गया। ना केवल प्रतिबंध हटाया गया बल्कि इसके बढावे के लिए कानून भी बनाए गए।

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लेकिन कंडोम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल 1980 के बाद हुआ। उस वक्त सैक्स करने वालों के बीच एक नई बिमारी एड्स का पता लगा। AIDS के मरीज ज्यादातर असुरक्षित सैक्स करने वाले मिलने लगे तो दुनियाभर में सुरक्षित गर्भ निरोधक का इस्तेमाल शुरु हुआ।

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1991 में पहली बार पेमीडॉम नामक की कम्पनी नेमहिलाओं के लिए कंडोम बाजार में उतारा। इस कंडोम ने आम आदमी और महिलाओं में काफी लोकप्रियता हासिल की। इसके बाद कई नए प्रयोग गर्भनिरोधक साधनों पर किये गए इसमें 1990 में दुनिया को मिला पहला सुगंधित और रंगीन कंडोम बाजार मे आया।

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नब्बे के दशक में पहली बार कडोम के इस्तेमाल का प्रचार प्रसार भी किया जाने लगा। इसके अलावा ओरल सैक्स के लिए बाजार में फलो के स्वाद वाले कंडोम लांच हुए। इसके अलावा आज कई कम्पनियां अलग अलग प्रकार के कंडोम बाजार में मौजूद है।

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