भूत कैसे बनते हैं, क्या मरने के बाद इंसान हैवान बन सकता है !

धर्म डेस्क  भूत कैसे बनते हैं , क्या मरन के बाद इंसान हैवान बन सकता है। भूत प्रेत की कहानी हम बचपन से सुनते आ रहें हैं। कई बार हमे अपने आसपास किसी अद्धश्य शक्ति का अहसास होता है। क्यो हमे कभी कभी लगता है कि कोई हमारा पीछा कर रहा है और पीछे मुडने पर वो दिखाई नही देता।

भूत कैसे बनते हैं ,ऐसे कई सवाल है जिनका जवाब हम अक्सर ढूढते लेकिन आधा अधूर ज्ञान अक्सर मिलता है। आप मानव शरीर के चलयमान होने पर अक्सर आश्चार्य करते होगें। कैसे एक शुक्राणु से शिशु और शिशु बडे आदमी का आकार लेता है। ऐसी कोई शक्ति या ताकत होती है जिसके ना रहने से शरीर बेजान पत्थर की तरह हो जाता है।

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क्या है कारण, भूत कैसे बनते हैं

अक्सर हम ऐसी शक्ति को आत्मा करते है। हिन्दू धर्म में गीता का महत्व है और गीता में भी आत्मा अमर होने का जिक्र किया गया है। वही कूरान ,बाइबल में भी अपने स्तर पर प्रभु और अल्हा के जिक्र के अलावा शैतान और दैव्य शक्तियों का उल्लेख है। लेकिन ऐसा क्या है वो जो शरीर से निकलने के बाद गायब हो जाती है और दिखाई नही देती। हम जिसे आत्मा कहते है वो आखिर है क्या।

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हिन्दू धर्म ग्रंथों की माने तो गरुड पुराण आत्मा के तीन रुपो का उल्लेख करता है। इनमें प्रेतआत्मा, फिर सूक्ष्मआत्मा और आत्मा की कैटेगिरी मे बाटा गया है। इस विषय पर शोध करने वालों का मानना है कि मानव शरीर में इन तीनों का मिश्रण प्रत्येक इंसान मे रहता है।

किसी व्यक्ति के शरीर में आत्मा प्रवेश करती है तो वह कहलाती है जीवात्मा । यही जीवात्मा इंसानी शरीर के जरुरत अनुसार सुख दुख के मद्देन्जर इच्छाओं की पूर्ति में लीन हो जाती है।

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लेकिन धर्म शास्त्रों की माने तो मानव शरीर पर जब इंद्रिया हावी हो जाए और वासनाएं बढने लगे तो आत्मा का बिगड़ा स्वरुप सामने आता है। कुछ इसे हैवान या शैतान के नाम से भी जानते है। जब जिंदा इंसान प्राकृतिक सिंद्धांतों के खिलाफ चलने लगे तो वह प्रेतआत्मा की श्रेणी में आता है

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लेकिन प्रेत योनि इंसान कैसे बदल सकता है आखिर क्या वजह है जब इंसान अपना कामवासनाओँ में अंधा होकर उनकी पूर्ति में लगता है तो और अगर उसकी मौत दुर्घटना ,अाकस्मिक या प्राकृतिक कारणों से हो जाए। ऐसे में आत्मा की इच्छाओँ की पूर्ति के लिए प्रेतआत्मा का जन्म होता है। गरुड पुराण के अनुसार जब तक आत्मा की इच्छाए पूर्ति नही हो तब तक वो अपनी इच्छओं की पूर्ति के प्रयास करती है।

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गरुड पुराण और बाइबल में ऐसी आत्माओँ का जिक्र है जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कमजोर इच्छा शक्तिवाले इंसानों के शरीर में प्रवेश कर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उकसाती है।हालाकिं इनसब कोई वैज्ञानिक प्रमाण नही मिला है।

कई जगह इसे अंधविश्वास के रुप में भी प्रमाणित किया गया है। मनोचिकित्सों के अनुसार प्रेत या भूत मानव मस्तिक्ष का भ्रम या दिमाग की तरंगो के रसायन बिगड़ने का परीणाम हो सकता है। ऐसे में प्रभावित आदमी की नीद और भूख कम हो जाती है और कई बार मानव मस्तिक्ष का शरीर पर कट्रोंल खत्म हो जाता है।

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इंडिया प्राइम उपर लिखे किसी अंधविश्वास के तर्को का समर्थन नही करता । पाठक स्वम के निर्णय लेने के लिए स्वत्रंत है उपरोक्त लेख एक विचारो की अभिवयक्ति और जीवन मरण यश हानि जैसे विषयों पर बहस का एक हिस्सा हो सकता है।

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