जयपुर। कोटा में 24 से 26 मई को आयोजित होने वाले ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) उद्यानिकी परियोजनाओं में उपलब्ध निवेश संभावनाओं को जानने के लिये निवेशकों को उपयुक्त मंच उपलब्ध करायेगा। कोटा संभाग उद्यानिकी फसलों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र है, जिनके मूल्यवर्धन के माध्यम से किसानों को भरपूर लाभ मिल सकता है। यह कहना है, राजस्थान सरकार की प्रमुख शासन सचिव, कृषि और उद्यानिकी, नीलकमल दरबारी का।
उन्होंने आगे कहा कि राज्य के कुल धनिया उत्पादन में से 95 प्रतिशत धनिया का उत्पादन कोटा सम्भाग (कोटा, बूंदी, बारां एवं झालावाड़) में होता है। यहां अधिक ऑयल कंटेंट वाली धनिये की नई किस्म उत्पन्न करने के भरपूर अवसर उपलब्ध है। यहां धनिया के भंडारण तथा पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट में काफी संभावनाएं हैं। इसी प्रकार से फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री, जिनमें धनिया इंग्रेडिएंट के रूप में उपयोग में लिया जाता है, के यहां व्यापक अवसर है। इसके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाले धनिया की ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग में अवसरों की तलाश की जा सकती है ।
कोटा सम्भाग भारत में संतरे और लहसुन का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है। गत कुछ वर्षों में इस सम्भाग के लहसुन में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई है। लहसुन के बढ़ते उत्पादन को देखते हुए इस संभाग में आवश्यकतानुसार लहसुन प्रसंस्करण इकाइयां होनी चाहिए। लहसुन के उत्पादन और उपलब्ध प्रसंस्करण इकाइयों में यह अंतर इस सम्भाग में निवेश के अवसर प्रदान करता है। इसी प्रकार से लहसुन के लिए कोल्ड स्टोरेज में भी निवेश की काफी संभावनाएं हैं। डिहाइड्रटेड गार्लिक, गार्लिक फ्लेक्स एवं गार्लिक पाउडर, भोजन एवं दवा उद्योग के महत्वपूर्ण घटक के रूप में भी गार्लिक में बहुत अधिक संभावना है।
सिट्रस फ्रूट्स के उत्पादन में कोटा सम्भाग का प्रमुख स्थान है। 2015-16 में राज्य के कुल संतरा उत्पादन का 98 प्रतिशत उत्पादन अकेले इस क्षेत्र से हुआ है। इस सम्भाग में नान्ता में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओ) भी है, जो सिट्रस फ्रूट्स पर केंद्रित है। सिट्रस फ्रूट्स के व्यापक उत्पादन को देखते हुए इनके उत्पादन, भंडारण एवं प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में अनेक अवसर हैं। यहां अधिक गूदा वाली संतरा की वैलेंसिया एवं जाफ्फा जैसी नवीन किस्मों के शुरूआत करने की अवसर है।
संतरे की प्रोसेसिंग के अतिरिक्त यहां पोस्ट हार्वेस्ट यूनिट्स जैसे ग्रेडिग, सॉर्टिग एवं पैकिग यूनिट्स की स्थापना में भी अनेक अवसर उपलब्ध हैं। स्थानीय स्तर पर उत्पादित उत्पादों की ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग की संभावनाएं तलाशी जा सकती है। ओरेंज प्यूरी एवं ओरेंज ज्यूस कंसंट्रेट्स जैसे वैल्यू एडेड उत्पादों का उत्पादन भी निवेश का एक अन्य क्षेत्र है।
अमरूद इस क्षेत्र में उगाया जाने वाला एक अन्य प्रमुख फल है। राज्य के कुल अमरूद उत्पादन में यह क्षेत्र 24 प्रतिशत का योगदान देता है। राज्य के कुल औसत उत्पादन की तुलना में इस सम्भाग में अमरूद की उत्पादकता अधिक है। हालांकि, वर्तमान में उत्पादित अमरूद के लिए संगठित खरीद व्यवस्था का अभाव है और ज्यादातर किसान स्थानीय स्तर पर ही अपनी उपज को बेचते हैं। संतरा के समान इसकी भी ग्रेडिंग, सॉर्टिग एवं पैकिंग इकाइयों की स्थापना के अवसर मौजूद हैं। इसके साथ ही अमरूद के जैम, जैली, जूस, आदि तैयार करने में अवसरों की तलाश की जा सकती है।
अनुकूल मृदा एवं जलवायु परिस्थितियों के कारण यहां स्ट्रॉबेरी, अनार, ड्रेगन फ्रूट जैसी अनेक नई फसलें भी उगाई जा सकती है। अधिक मूल्य वाली इन फसलों का उत्पादन किसानों की आय में काफी सुधार कर सकता है।
अश्वगंधा एवं ईसबगोल कोटा सम्भाग में उगाए जाने वाले महत्वपूर्ण औषधीय पौधे हैं। वर्तमान में, इनका उत्पादन आरम्भिक अवस्था में है, हालांकि इन पौधों के लिये आवश्यक अनुकूल जलवायु को देखते हुए इनकी फसलों को प्रोत्साहन दिया जा सकता है। इन फसलों के पोस्ट हार्वेस्ट स्टोरेज एवं प्रोसेसिंग निवेश के अन्य संभावित क्षेत्र हैं।
आगामी 3-दिवसीय ‘ग्राम कोटा‘ में सेमिनार, जाजम बैठकों और ‘स्मार्ट फार्म‘ में किसानों को इन उद्यानिकी फसलों की खेती और उत्पादन में उपलब्ध अवसरों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
’ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट 2017, कोटा’ (ग्राम) के बारे में
‘ग्राम कोटा‘ का आयोजन राजस्थान के कोटा में आरएसी ग्राउंड में 24 मई से 26 मई 2017 तक आयोजित किया जाएगा। यह राजस्थान सरकार तथा फैडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। गत वर्ष जयपुर में आयोजित ‘ग्राम 2016‘ की उपलब्धियों को देखते हुए राजस्थान सरकार द्वारा ‘ग्राम कोटा‘ का आयोजन किया जा रहा है। ‘ग्राम कोटा‘ के आयोजन के प्रमुख उद्देश्यों में कोटा संभाग के किसानों को कृषि क्षेत्र में उपलब्ध सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों से अवगत कराना और कोटा के कृषि विकास को गुणात्मक रूप से अगले स्तर पर ले जाना है। इस आयोजन के दौरान कृषि क्षेत्र के सभी हितधारक – जिनमें कोटा एवं आसपास के किसान, शिक्षाविद, प्रौद्योगिकीविद, कृषि व्यवसाय कंपनियां और नीति निर्माता शामिल हैं, एक मंच पर एकत्रित होंगे।