जयपुर: महिला शिक्षक विकास मंच,राजस्थान द्वारा शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी को एक ज्ञापन भेजकर मांग की है कि प्रतिबंधित जिलों में 5 वर्ष से अधिक समय से पदस्थापित शिक्षकों खासकर महिला शिक्षकों के स्थानांतरण पर सरकार गंभीरतापूर्वक विचार करें तथा न सिर्फ इस संबंध में एक पारदर्शी स्थानांतरण नीति बनाए व उसे अविलम्ब सार्वजनिक करें वरन् विधानसभा के आगामी सत्र में इस नीति को पारित कर कानूनी जामा पहना कर एक ‘शिक्षक स्थानांतरण अधिनियम’ बनाया जाये ताकि शिक्षा विभाग से स्थानांतरण का मुद्दा हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाये तथा शिक्षक अपना पूरा ध्यान शैक्षणिक कार्यों पर केन्द्रित कर सके।
महिला शिक्षक विकास मंच की प्रदेश संयोजक प्रीति यादव के अनुसार सरकार प्रतिबंधित जिलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने की धुन में शिक्षक को सामाजिक प्राणी मानना भूल गई है तथा उसने कुछ चुनिंदा शिक्षकों को पिछले 10 वर्षों से निर्वासित जीवन जीने को मजबूर कर दिया है,सरकार चाहती तो स्पष्ट स्थानांतरण नीति बनाकर रोटेशन प्रणाली अपनाकर इन जिलों में वर्षों से पिस रहे शिक्षकों का राहत दे सकती थी परन्तु किसी ने भी इनकी सुध नहीं ली।
आज स्थिति ये है कि इन जिलों में वर्षों से एकाकी जीवन जी रही महिला शिक्षक आत्महत्या की हद तक अवसाद में आ चुकी हैं। स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी है परन्तु सरकार है कि स्थानांतरण के इतने अहम मुद्दे को मद्दा ही नहीं मानती है जोकि बेहद असंवेदनशील व अन्यायपूर्ण है। संयोजक प्रीति यादव ने बताया कि जल्द ही इस मुद्दे पर महिला शिक्षक विकास मंच का एक प्रतिनिधिमण्डल माननीय मुख्यमंत्री महोदय से मिलने का प्रयास करेगा तथा समय प्रदान किए जाने पर उन्हें इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपकर न्याय की मांग करेगा।