आयुर्वेदिक औषधि में मिली एलोपैथिक दवाइयां निर्माता फर्म के विरूद्ध पुलिस में मामला दर्ज

जयपुर । चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के औषधि नियंत्रण संगठन ने जयपुर स्थित आयुर्वेदिक निर्माता फर्म आयुषराज एन्टरप्राइजेज प्रा.लि. पर छापा मारकर आयुर्वेदिक औषधियों में एलोपैथिक दवाइयां मिलाने का बड़ा मामला पकड़ा है। निर्माता फर्म के विरूद्ध ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट तथा भारतीय दंड समिति की विभिन्न धाराओं के तहत मामला बगरू थाने में दर्ज करवाया गया है।

औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा ने बताया कि आयुर्वेदिक निर्माता फर्म आयुषराज एन्टरप्राइजेज प्रा.लि. पर आयुर्वेदिक औषधियों में एलोपैथिक दवा मिलाने के बारे में जानकारी मिलने पर दवाइयों के नमूने लेकर जांच करवाई गई एवं जानकारी की पुष्टि होते ही अजमेर रोड़ के पास ग्राम मानसिंहपुरा स्थित आयुर्वेदिक औषधि निर्माता कंपनी में टीम भेजकर कार्यवाही की गई है। फैक्ट्री में निर्मित संदेहास्पद आयुर्वेदिक औषधियों की राजकीय औषधी जांच प्रयोगशालाओं में जांच कराने पर डायबिटीज की दवा मेटफोर्मिन हाइड्रोक्लोराइड पाई गई। टीम में औषधि नियंत्रण अधिकारियों के साथ आयुर्वेदिक विभाग के औषधि निरीक्षक को भी शामिल किया गया था।

शर्मा ने बताया कि डायबिटीज के उपचार में काम आने वाली दो औषधियों धन्वतरी डीबी केयर तथा प्रानिक डीबी केयर में एलोपैथिक दवा पाई गई। इन औषधियों पर प्रकाशित लेबल के अनुसार इन आयुर्वेदिक उत्पादों को निर्यात किया जाता है और दवा के 500 एमजी के कैप्सूल में 168 एमजी से 201 एमजी तक की मात्रा में मेटफोर्मिन पाया गया।

डीबी केयर कैप्सूल के 180 कैप्सूल पैक की कीमत 2 हजार 200 रुपये, प्रानिक डीबी केयर के 60 कैप्सूल पैक की कीमत 999 रुपये एवं क्यूरालिन हर्बल डायटरी सप्लिमेन्ट के 180 कैप्सूल पैक की ऑनलाइन कीमत 4 हजार 840 रुपये निर्धारित है। इन कीमतों के आधार पर फर्म द्वारा मेटफार्मिन युक्त कैप्सूल बनाने की बाजार कीमत 8 करोड़ 50 लाख रुपये आंकी गई है।

इसके अतिरिक्त एक अन्य औषधि क्यूरालिन हर्बल डायटरी सप्लिमेन्ट में भी मेटफोर्मिन हाइड्रोक्लोराइड पाया गया। प्रारंभिक जांच के अनुसार कम्पनी द्वारा अवैध रूप से आयुर्वेदिक औषधि के नाम पर एलोपैथिक दवा मिश्रित कर विदेशों में भेजने की जानकारी के आधार पर फर्म के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया है। फर्म से प्राप्त रिकॉर्ड के अनुसार क्यूरालिन हर्बल डायटरी सप्लिमेन्ट के एक बैच में 31 लाख 90 हजार कैप्सूल, धन्वतरी डीबी केयर कैप्सूल के 3 लाख कैप्सूल एवं प्रानिक डीबी केयर के 95 हजार कैप्सूल का निर्माण किया गया था।

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