Delhi highcourt ने केजरीवाल सरकार के 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति खारीज की

Delhi highcourt ने केजरीवाल सरकार के 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को खारीज कर दिया हैं। हाईकोर्ट आदेश में कहा कि यह नियुक्तियां उपराज्यपाल की अनुमति बगैर की गई हैं। इसलिए नियुक्तियां अवैध है, लेकिन Delhi highcourt ने संसदीय सचिवों की नियुक्त की मंजूरी नही लेने पर कार्रवाई का अधिकार उपराज्यपाल के विवेक पर छोड़ दिया हैं। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान Delhi highcourt के मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया। Delhi highcourt ने कहा केंद्र शासित प्रदेश के अनुच्छेद 239 एए के तहत नियुक्तियां रद्द करने का जिक्र किया ।

Delhi highcourt सरकारी पैसे की वसूली या जुर्माना

फिलहाल इस मामले की गेद अब उपराज्यपाल के पाले में हैं अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार उपराज्यपाल के माध्यम से चाहें तो संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर हुए सरकारी खर्च की वसूली कर सकते हैं या मंजूरी न लेने पर कार्रवाई या जुर्माना कर सकते हैं

क्या कहना है दिल्ली सरकार का

दिल्ली सरकार ने जुलाई में दिल्ली सरकार ने संसदीय सचिव को लाभ का पद मानने से इन्कार कर दिया था। सरकार ने कहा था कि संसदीय सचिव का पद पहली बार गठित नहीं किया गया है। पहले की भी सरकारें संसदीय सचिवों की नियुक्ति करती रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गैरकानूनी नहीं बताया है। दूसरी तरफ गृहमंत्रालय ने नियुक्तियों को अवैध बताया था। जबकि इस महीने दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत में स्वीकार किया कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना की गई थी।

Delhi highcourt ने क्यो कहा नियुक्ति अवैध

दिल्ली में संसदीय सचिवों की नियुक्ति के विरूद हाईकोर्ट में एनजीओ राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा ने याचिका दायर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239 का उल्लेख किया था अनुच्छेद के तहत दिल्ली सरकार में मात्र सात मंत्री ही बनाए जा सकते हैं।

कौन कौन बने थे संसदीय सचिव
14 फरवरी 2015 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया, जितेन्द्र तोमर, सत्येंद्र जैन,संदीप कुमार,गोपाल राय, आसिम अहमद खान समेत 7 विधायकों को मंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद ही सरकार ने 21 विधायकों को लाल बत्ती और मंत्री स्तर का दर्जा देने के लिए संसदीय सचिव बनाया था

इधर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने संसदीय सचिवों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, झूठी शपथपत्र देने पर कारवाई की मांग की हैं।जबकि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने अंतिम फैसला आने तक आरोपी विधायकों को विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति नही देने की मांग की हैं।

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