जयपुर, 6 जून। राजस्व लोक अदालत न्याय आपके द्वार शिविरों में जहां ग्रामीणों के वर्षों पुराने लम्बित मामलों का मौके पर ही निस्तारण किया जा रहा है वहीं राजस्व संबंधी प्रकरणों के चलते परिवार में आये गिले शिकवे भी दूर हुए हैं। ऎसा ही एक प्रकरण ग्राम पंचायत चुल्हेरा में आयोजित राजस्व लोक अदालत शिविर में आया जिसमें राजस्व संबंधी प्रकरण के निस्तारण के बाद एक ही परिवार को एकजुट कर बिखरने से बचाया गया।
न्याय आपके द्वार शिविर में महेन्द्रसिंह बनाम देवीसिंह वगै0 वाद सं. 289/11को सुनवाई के लिए रखा गया। इस प्रकरण में एक परिवार की पैतृक सम्पत्ति जो कई पीढ़ियों से सहकाश्तकारी के रूप में की जा रही थी। वर्तमान में वादी महेन्द्र एवं प्रतिवादी देवी सिंह वगै0 काश्त कर रहे थे। देवीसिंह का पुत्र प्रबल एवं ज्यादा ताकतवर था और वह महेन्द्र सिंह के हक को लठ्ठ एवं ताकत के बल पर हडपना चाहते थे। इसके अतिरिक्त दोनों पक्षों में शामिल डीग कस्बे में आवासीय भूखण्ड भी था जिस पर देवीसिंह पक्ष ने अपने हिस्से में मकान निर्माण कर लिया था लेकिन जब महेन्द्रसिंह अपने हिस्से में मकान का निर्माण करने लगा तो देवीसिंह पक्ष ने रोकने की कोशिश की जिस पर दोनों पक्षों में खूनी संघर्ष हुआ तथा फौजदारी मुकदमा सिविल न्यायालय डीग में विचाराधीन है।
मामले की गंभीरता को देखते हुये पीठासीन अधिकारी के निर्देशानुसार राजस्व टीम द्वारा लगातार दोनो पक्षों की व्यापक समझाईश की गयी तथा दोनों पक्षों को परिवार के महत्व और आपसी झगडे से परिवार पर पडने वाले दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी गयी। जिस पर दोनों पक्षों में प्राथमिक रजामंदी देखने में आयी जिस पर राजस्व टीम द्वारा दोनों पक्षों को उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में बुलाकर उनकी अलग-अलग समझाईश की गयी। अन्त में दोनों पक्षों ने पूर्व में हुए वाकिये को भुलाकर नये सिरे से पारिवारिक जीवन जीने की कसम खाई तथा पूर्व के सिविल फौजदारी मुकदमे को भी आपसी रजामंदी से वापिस ले लिया जिससे पारिवारिक कलेश एवं आपसी रंजिश समाप्त हुई और दोनों परिवार पूर्व की भांति मिलजुलकर रहने को राजी हुए जिस पर पीठासीन अधिकारी दुलीचंद मीणा ने दोनों पक्षों को हाथ एवं गले मिलाकर, माला पहनाकर मन मुटाव दूर करने एवं भविष्य में न लडने की नसीयत देकर रवाना किया।