राजस्थान बनेगा पोषण राज्य , मुख्यसचिव एनसी गोयल

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जयपुर, 19 फरवरी। पोषण के पिछड़े राजस्थान की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए राज्य में पोषण नीति को घर-घर तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी पोषण राजस्थान मिशन पूरा हो सकेगा। मिशन की नीतियों को लागू करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा, ए.एन.एम. और स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं व विभिन्न विभागों द्वारा योजनाओं को कमजोर वर्ग और गरीबों तक पहुंचाने और नीति की क्रियान्विती को सही रूप से लागू करने के लिए पुरजोर प्रयास किए जाएंगे। ये प्रयास तभी सफल हो पाएंगे जब गंभीरता और समर्पण भाव से इस पर कार्य किया जाएगा। साथ ही इसका रिव्यू करने की भी जरूरत है कि समाज में क्या नए बदलाव हो रहे हैं, उसी आधार पर नीतियों और तकनीकी में बदलाव करेंगे तो लक्ष्य को पूरा करने में काफी हद तक सफल हो सकेंगे।

महिला एवं बाल विकास विभाग सचिव रोली सिंह ने मिशन का स्वागत करते हुए जानकारी दी कि राज्य के 24 जिलों में कुपोषण को दूर करने की नीतियों को पुरजोर तरीके से अभिसरण किया जाएगा। कार्यक्रम में यूनिसेफ की इसाबेल बारदेम ने बताया कि यूनिसेफ इस मिषन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर स्तर पर सहयोग करेगी। जिला स्तर से लेकर गांवों तक मिषन के जरिए लोगों को लाभान्वित करने में पूर्ण सहयोग करेगी।

महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से पोषण राजस्थान, विजन 2022 के लिए पहला राज्य स्तरीय अन्तर्विभागीय नीति और योजना निर्माण के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय पोषण तकनीकी बोर्ड के सदस्य डा. एम.के. भान ने कहा। उन्होंने बताया कि नीतियों को पुरजोर तरीके से लागू करने की गुणवत्ता में अभी भी कई कमियां हैं, जिन्हें नए तौर-तरीकों और रूपरेखा के जरिए दूर करने से लक्ष्य की प्राप्ति समय पर कर पाएंगे।

कार्यशाला की अध्यक्षता राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव एन.सी. गोयल द्वारा की गई। उन्होंने कहा कि कुपोषण को दूर करने वाली चुनौतियों और प्रभावी नीतियों को लागू करने के लिए मानवीय संसाधन का विकास करके प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा। राजस्थान में अंतर्विभागीय समन्वय के लिए तीन वर्षो से चल रही राजस्थान मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना एक अच्छा उदाहरण है, जिसकी वजह से प्रदेश में जल स्तर बढ़ा है, कृषि उत्पादन बढ़ा है। उनका कहना था कि राष्ट्रीय पोषण मिशन के निर्देशानुसार राज्य में किस तरह की कार्यशैली रहेगी और कैसे इस मिशन को पूरा किया जाएगा, कार्यशाला में इससे संबंधित राज्य का प्लान ऑफ एक्शन तैयार किया गया।

पोषण राजस्थान के तहत मिशन के कार्यों की क्रियान्विती के लिए इसी प्रकार जिलों में भी जिलों के एक्शन प्लान तैयार किए जाएंगे। इस तरह के अभिसरण और सहयोग से उम्मीद की जा रही है कि पोषण मिशन राज्यों में कुपोषण का स्तर लगातार गिरता जाएगा और राज्य पोषण के मामले में बेहतर स्थिति में पहुंच पाएंगे। मिशन का लक्ष्य है कि 0-6 वर्ष तक के बच्चों का कुपोषण स्तर 38.4 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक पहुंच जाए और यह लक्ष्य 2022 तक प्राप्त किया जाना है।

कार्यशाला के अंतर्गत कुपोषण को दूर करने वाली चुनौतियों और प्रभावी नीतियों पर चर्चा की गई। इसमें बताया गया कि इस मिशन के जरिए 10 करोड़ लोगों को लाभ पहुंचाने की उम्मीद की जा रही है। इसके तहत वर्ष 2018-19 में 235 जिले और आने वाले दो वर्षों में शेष सभी जिलों को शामिल किया जाना है।

समेकित बाल विकास विभाग की षुचि षर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि मिशन का लक्ष्य शून्य से 6 वर्ष की आयु के 38.4 प्रतिशत कमजोर और दुर्बल बच्चों को वर्ष 2022 तक 25 प्रतिशत तक पहुंचाना है। इस कार्यशाला में यूनिसेफ से अरजन डे और मंजरी पंत, ममता के कार्यकारी निदेषक सुनील मेहरा, समेकित बाल विकास विभाग से रुचि वर्मा, वर्ल्ड बैंक से आदेश चतुर्वेदी और बांसवाड़ कलेक्टर भगवती कलाल ने अलग-अलग विशयों पर व्याख्यान दिए।

नीति आयोग के वरिष्ठ प्रतिनिधि, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, भारत सरकार के सचिव और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ-साथ जिलों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। इस मिशन में युनिसेफ, आईपीई, ग्लोबल और सीआईएफएफ पार्टनर्स हैं। राज्यों के साथ-साथ इस कार्यक्रम में समेकित बाल विकास विभाग, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम, महानरेगा स्कीम, ग्रामीण विकास विभाग सहित अन्य मंत्रालय और विभाग भी इस मिशन में सहयोगियों की भूमिका निभा रहे हैं।

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