उच्च न्यायालय ने राज्य पीसीपीएनडीटी की अंतर्राज्यीय डिकॉय कार्यवाही को सही माना

जयपुर, 22 मई। राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर ने एसबी क्रिमिनल मिसलेनियस पिटिशन संख्या 1439/2017 डॉ. उमेश शर्मा बनाम राजस्थान सरकार में 11 मई 2017 को ओदश पारित कर राज्य पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ द्वारा पिटिशनर डॉ. उमेश शर्मा व अन्य के विरूद्ध पंजाब में राजस्थान के पीबीआई थाने द्वारा पीसीपीएनडीटी अधिनियम व भारतीय दण्ड संहित के तहत की गई डिकॉय कार्यवाही को सही माना है।
उल्लेखनीय है कि मुखबिर द्वारा दी गयी सूचना के आधार पर 17 मार्च 2017 को राज्य पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ में गठित पीसीपीएनडीटी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन द्वारा डॉ. अशोक कुमार एवं नर्स संदीप कौर को गर्भवती महिला की सहयोगी महिला द्वारा भू्रण लिंग परीक्षण के लिए 20 हजार रुपये की राशि न्यू महावीर नर्सिंग होम, रायसिंह नगर, श्रीगंगानगर, राजस्थान में ली गयी।
इस मामले में फिरोजपुर में (पंजाब) में डॉ. उमेश शर्मा द्वारा भू्रण लिंग परीक्षण करने पर पीसीपीएनडीटी अधिनियम की धारा 4, 5, 6, 21 व 23 नियम 9 व 10 तथा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 315, 511, 420 व 120 बी के तहत एफआईआर 10/2017 दर्ज कर अनुसंधान किये जाने को पिटिशनर (अभियुक्त) द्वारा उच्च न्यायालय, जोधुपर में पीबीआई थाने द्वारा की गई कार्यवाही को क्षेत्राधिकार के बाहर बताते हुए चुनौती देकर रिट पिटिशन प्रस्तुत की गयी थी।
राजस्थान उच्च न्यायालय मुख्य पीठ, जोधपुर द्वारा विस्तृत आदेश 11 मई 2017 पारित कर पीसीपीएनडीटी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान द्वारा की गयी कार्यवाही को किये गये अपराध का एक भाग रायसिंह नगर, श्रीगंगानगर में घटित होना माना। दण्ड प्रक्रिया सहिंता की धारा 178 ‘‘जहां अपराध अंशतः एक स्थानीय क्षेत्र में और अशंतः किसी दूसरे में किया गया है’’ के अनुसार सही मानकर की गई कार्यवाही को वैद्य ठहराते हुए पिटिशनर (अभियुक्त) द्वारा प्रस्तुत रिट पिटिशन को खारित कर दिया।
मिशन निदेशक एनएचएम नवीन जैन ने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर द्वारा पारित इस निर्णय से राज्य पीसीपीएनडीटी द्वारा की जा रही अंतर्राज्यीय कार्यवाहियों को वैधानिक बल प्राप्त हुआ है।

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